New Delhi : भारत की भुजाओं को मजबूत बनाने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति, भारत के मिसाइल मैन की 5वीं पुण्यतिथि बिना किसी शोरगुल के बीत गई। ज है। आज ही के दिन 2015 में शिलोंग में आयोजित एक कार्यक्रम में कलाम जी को अचानक हर्ट अटैक आया जिसके कुछ देर बाद उनका निधन हो गया। जैसे ही उनके निधन की खबरें आनी शुरू हुईं एक बार के लिए किसी भी व्यक्ति के लिए इस दुखद समाचार पर यकीन कर पाना मुश्किल था। उनके इस तरह अचानक जाने से देश यही कह रहा था कि तुम जैसे गए ऐसे भी जाता है कोई। अभी तो आपको युवाओं में और जोश भरना था, देश को तरक्की पर जाते हुए देखना था। लेकिन नियति के आगे किसकी चली है। जिंदगी ने जब उन्हें जिस भूमिका को निभाने का दायित्व सौंपा वह उसपर खरे उतरे। वे देश के राष्ट्रपति रहे, एक महान विचारक रहे, लेखक रहे और वैज्ञानिक भीरहे। हर क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा।
I share this photo every year when we remember #APJ_Abdul_Kalam on his death anniversary. We pride ourselves on having had him inaugurate our Research Valley in Chennai. The story of how he exhorted us to ‘Take the Hill’ is always worth recounting:https://t.co/4F6PQZR3o3 pic.twitter.com/LFjmQXfE08
— anand mahindra (@anandmahindra) July 27, 2020
अब्दुल कलाम का निधन चार साल पहले 27 जुलाई को मेघालय के शिलांग में हुआ था। डॉ. कलाम आईआईएम-शिलॉन्ग में एक लेक्चर दे रहे थे। जिसका नाम था ‘Creating a Livable Earth’ ये विषय उनकी आखिरी किताब का विषय था। जिसे वो पूरा नहीं कर सके। ऐसे में आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें साथ ही कैसे ख़्वाब देखना और उसे पूरा करना कोई कलाम साहब की जिंदगी से सीख सकता है इसे भी जानते हैं।
अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टूबर को हुआ था। उनका परिवार नाव बनाने का काम करता था। कलाम के पिता नाव मछुआरों को किराए पर दिया करते थे। बचपन से ही कलाम की आंखें कुछ बनने का ख़्वाब देखती थी। हालांकि उस वक्त परिस्थितियां इतनी अच्छी नहीं थी। वह स्कूल से आने के बाद कुछ देर तक अपने बड़े भाई मुस्तफा कलाम की दुकान पर भी बैठते थे, जोकि रामेश्वरम् रेलवे स्टेशन पर थी।
डॉ कलाम की सादगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कभी अपने या परिवार के लिए कुछ बचाकर नहीं रखा। राष्ट्रपति पद पर रहते ही उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी और मिलनेवाली तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी। उऩ्होंने कहा था कि चूंकि मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जबतक जिंदा रहूंगा सरकारमेरा ध्यान आगे भी रखेगी ही। तो फिर मुझे तन्ख्वाह और जमापूंजी बचाने की क्या जरूरत।