New Delhi : आगामी 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाना है। शिलान्यास के साथ ही राम भक्तों का मंदिर निर्माण का 500 साल का इंतजार खत्म हो जाएगा। ये किसी एतिहासिक घटना से कम नहीं होगा। लेकिन इसके पीछे जिन लोगों का योगदान रहा है उसमें लालकृष्ण आडवाणी का नाम बेहद अहम है। आडवाणी ही थे जिन्होंने रथयात्रा की शुरूआत कर पूरे देश में राम मंदिर आन्दोलन का प्रचार किया। इसके लिए उन्हें गिरफ्तारी भी देनी पड़ी। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी का आज जो कद है वो आडवाणी की ही बदोलत है ये कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।
Lalu Yadav had arrested LK Advani at Samastipur, stopping the historic Somnath to Ayodhya ratha yatra.
Three decades later, Advani would be doing Bhumi Pujan at Ayodhya for a bhavya Ram Mandir while Lalu is locked up in a jail as a corruption case convict #भारत_के_कण_कण_में_राम pic.twitter.com/UZNd3d5dS5
— Narendra Modi fan (@narendramodi177) July 26, 2020
आठ नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। विभाजन के बाद वे भारत आ गए। आज वे भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। गांधी के बाद वो दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आंदोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनावाई। पिछले कुछ सालों से भले ही वो राजनीति के हाशिये पर हों लेकिन एक समय में सुपरस्टार नेता के रूप में जाने जाते थे।
साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। अभी तक आडवाणी का रथ ठीक चल रहा था जैसे ही रथयात्रा बिहार पहुंची तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रथ यात्रा को रोकने की ठानी। आडवाणी की रथयात्रा धनबाद से शुरू होने वाली थी और उन्हें सासाराम के नजदीक गिरफ्तार करने की योजना थी। 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी, लेकिन 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र की सियासत में खलबली मच गई। इसके जवाब में BJP ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, इस सरकार में लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे, और सरकार गिर गई।
उनकी गिरफ्तारी के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया। 1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया । वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है। लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व संभाला। आडवाणी इस दौरान सूचना प्रसारण मंत्री रहे। वे अटल बिहारी के प्रधानमंत्री काल में उपप्रधानमंत्री भी रहे।