New Delhi : राजस्थान में सियासी ड्रामा भले अपने चरम पर हो लेकिन प्रशासनिक कामकाज ठप नहीं पड़ा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने निष्कासित डिप्टी सचिन पायलट के साथ राजनीतिक लड़ाई में उलझे हैं लेकिन राजकाज रुका नहीं है और न ही उलझा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 20 जून को शुरू किये गये 50,000 करोड़ रुपये के गरीब कल्याण रोज़गार अभियान में राजस्थान ने नंबर वन आकर यह साबित कर दिया है।
#GaribKalyanRozgarYojana के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जं० स्टेशन पर बन रही वाशिंग़ लाइन में 10 श्रमिकों को रोज़गार मिला है।
कामगारों को अपने घर के पास काम मिला और रेलवे का कार्य भी तीव्रता से हो रहा है। pic.twitter.com/q0U9Zp8Utg
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 17, 2020
इस योजना को छह राज्यों, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा के 116 जिलों में शुरू किया गया था। कार्यक्रम का लॉन्चपैड बिहार था वो भी राजस्थान से पिछड़ गया। प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर देकर उन्हें कमाई करने का मौका देनेवाली इस योजना का सर्वाधिक लाभ बिहार और उत्तर प्रदेश को मिलना चाहिये था लेकिन आंकड़े कुछ और ही गवाही दे रहे हैं।
इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान ने अभी तक 2,558 करोड़ खर्च किये हैं और करीब 4.10 करोड़ कार्य दिवस का रोजगार जेनरेट किया। दरअसल यह योजना देश के उन जिलों में शुरू की गई है जहां कम से कम 25000 प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से अपना रोजगार छोड़कर घर लौट आये। इस योजना ने सभी छह राज्यों में पहले महीने में 11 करोड़ कार्य दिवस रोजगार रोजगार सृजित किये गये और कुल 9699 करोड़ रुपये का व्यय किया गया।
राजस्थान ने इस स्कीम के तहत ग्रामीण आवास की 24,000 परियोजनाएं और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिये 13,000 कार्य पूरे किये हैं।
बिहार में कम से कम 30 लाख प्रवासी मजदूर अपना कामधाम छोड़ कर घर लौट आये। बिहार ने 1.87 करोड़ कार्य दिवस सृजित किये। गरीबों के गृह निर्माण की 53,741 परियोजनाओं को इससे पूरा किया गया। झारखंड इस मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुआ जहां सिर्फ 18 लाख कार्यदिवस ही सृजित हो पाये।
Under the PM Garib Kalyan Rojgar Yojana, returned migrant workers will contribute in rural development while getting employment opportunities during the Corona crisis.
The works include several sectors such as gram panchayat bhawans, plantations and rural housing etc. pic.twitter.com/AIOymdd70Y
— BJP (@BJP4India) July 12, 2020
उत्तर प्रदेश में 35 लाख प्रवासी मजदूर लौटकर आये हैं लेकिन इस योजना के तहत यहां केवल 2.72 करोड़ कार्य दिवस का रोजगार ही सृजित हो पाया। उत्तर प्रदेश ने इस योजना के तहत 2,142.29 करोड़ खर्च किये। मध्य प्रदेश में 1.88 करोड़ दिन का रोजगार और 1,903 करोड़ खर्च, ओडिशा ने 24.4 लाख दिन का रोजगार सृजित किया।