New Delhi : भारत में प्रतिबंधित टिक-टॉक ऐप अब चीन से नाता तोड़ना चाहता है। बायटेंस लिमिटेड ने कहा – हम अपने टिक टॉक कारोबार के कॉरपोरेट ढांचे में परिवर्तन करने के बारे में सोच रहे हैं। भारत के बाद अमेरिका की भी चिंता मूल कंपनी के चीनी ओरिजिन को लेकर है। इसको लेकर कंपनी के एक्जीक्यूटिव्स की बैठक हुई। बैठक में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक इसमें टिक-टॉक के लिये एक नया मैनेजमेंट बोर्ड बनाने और चीन के बाहर ऐप के लिये एक अलग मुख्यालय स्थापित करने जैसे विकल्पों पर चर्चा की गई।
TikTok is no longer available to download for either iPhones or Android devices in Hong Kong https://t.co/NNMMBd2RyK
— Bloomberg (@business) July 10, 2020
न्यूज एजेंसी ब्लूम्बर्ग के मुताबिक शार्ट वीडियो और संगीत ऐप TikTok का वर्तमान में बायटेंस से अलग अपना मुख्यालय नहीं है। यह चीन के केमैन आइलैंड्स में स्थित है। वैश्विक आधार पर टिक टॉक अपना नया हेडक्वार्टर खोलने के लिये कई स्थानों पर विचार कर रहा है। इसके पांच सबसे बड़े कार्यालय लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क, लंदन, डबलिन और सिंगापुर में हैं। वहीं एएनआई के मुताबिक चीन द्वारा नया नेशनल सिक्योरिटी लॉ लाने के बाद टिक टॉक ने हांगकांग के मार्केट से हटने का फैसला किया है।
टिक-टॉक ने अपने एक बयान में कहा- हम अपने उपयोगकर्ताओं, कर्मचारियों, कलाकारों, रचनाकारों, भागीदारों और नीति निर्माताओं के सर्वोत्तम हित में आगे बढ़ेंगे। यह ऐप यूएस में सबसे अधिक डाउनलोड की जाती है और यह किशोरों के साथ बेतहाशा लोकप्रिय है। पिछले दो हफ्तों से टिक-टॉक को लेकर भारत समेत कई देशों में बुरी खबरें हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था – उनका प्रशासन अमेरिका में कोरोनावायरस से निपटने के लिये चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के एक संभावित तरीके के रूप में ऐप पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। अमेरिका चीन के खिलाफ कई कदम उठाने जा रहा है और टिक-टॉक को बैन करना उनमें से एक है।
Thousands of TikTok users flooded Trump’s campaign app with negative reviews https://t.co/clFL2p8DoW
— Bloomberg (@business) July 10, 2020
भारत और अमेरिका की तरह आस्ट्रेलिया में भी कई सांसद टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव कर रहे हैं। लिबरल पार्टी के सीनेटर जिम मोलन ने कहा – चीन सरकार टिक टॉक का उपयोग और दुरुपयोग कर रही है। वहीं टिक टॉक ने गुरुवार को बताया – गाइडलाइंस का उल्लंघन करने पर उसने पिछले साल की दूसरी छमाही में अपने प्लेटफॉर्म्स से 4.9 करोड़ से ज्यादा वीडियो को हटाया था। इनमें से करीब एक तिहाई वीडियो भारत के थे। इसके बाद हटाए गए सबसे ज्यादा वीडियो अमेरिका और पाकिस्तान के थे।