New Delhi : कोरोना वायरस महामारी का पीक भारत में नवंबर महीने में आयेगा। आठ सप्ताह के लॉकडाउन की वजह से महामारी का चरम स्तर 34-76 दिनों के लिये टल गया है। वहीं, लॉकडाउन के खत्म होते-होते 69-97% मामले कम हो गये। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा गठित एक रिसर्च ग्रुप के स्टडी के अनुसार, नवंबर महीने में जब कोरोना के मामले पीक पर होंगे, तब भारत में आईसीयू बेड्स और वेंटिलेटर्स की कमी हो सकती है।
#CoronaVirusUpdates: #COVID19 India Tracker
(As on 15 June, 2020, 08:00 AM)▶️ Confirmed cases: 332,424
▶️ Active cases: 153,106
▶️ Cured/Discharged/Migrated: 169,798
▶️ Deaths: 9,520#IndiaFightsCorona#StayHome #StaySafe @ICMRDELHIVia @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/I6IIOVNjaV
— #IndiaFightsCorona (@COVIDNewsByMIB) June 15, 2020
लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय 60 फीसदी तक बढ़ाये जाने की वजह से नवंबर के पहले सप्ताह तक मांग को पूरा किया जा सकता है। इसके बाद 5.4 महीनों तक आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों तक आईसीयू बेड्स और 3.9 महीनों तक वेंटिलेटर्स में कमी आ सकती है।
स्टडी में दावा किया गया है – यदि लॉकडाउन और जन स्वास्थ्य उपायों को नहीं किया जाता तो हालात और खराब हो जाते। इनकी वजह से जो पहले हालात होते, उससे अब आने वाले समय में 83 फीसदी की कमी होगी। रिसर्चर्स का कहना है – यदि जन स्वास्थ्य उपायों को 80 फीसदी तक और बढ़ाया जाता है तो फिर महामारी से हालात काफी कम बिगड़ेंगे।
भारत में कोरोना महामारी के लिए मॉडल-आधारित विश्लेषण के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान मरीजों की टेस्टिंग, उपचार और आइसोलेशन की अतिरिक्त क्षमता जो बनाई गई है, उसकी वजह से मामलों के उच्च स्तर पर पहुंचने में 70 फीसदी तक की कमी आयेगी। इसके अलावा क्युमुलेटिव मामलों में तकरीबन 27 फीसदी की कमी आ सकती है। डाटा के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि 60 फीसदी तक अधिक जानमाल का नुकसान हो सकता था, जिन्हें टाला दिया गया।