फरवरी में पहुंचे थे दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज, कहा- मुझे बी-टेक डिग्री पूरी करनी है, फॉर्म भरनेवाले थे

New Delhi : सुशांत सिंह राजपूत फरवरी महीने में दिल्ली इंजीनियरिंग कैंपस आये थे। उन्होंने कॉलेज के प्रिंसिपल और डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन के हेड से मुलाकात कर डिग्री पूरा करने की इच्छा व्यक्त की थी। वे 4 साल के डिग्री कोर्स के तीसरे साल की पढ़ाई छोड़कर मुम्बई चले गये थे। उन्हें तीन सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करनी थी, जिसके बाद उन्हें डिग्री मिलती। इसके लिये उन्होंने सारी फार्मेलिटीज की जानकारी ली और यह कह कर गये कि मैं फॉर्म भरने आऊंगा लेकिन पहले कोरोना और फिर लॉकडाउन की वजह से वे फॉर्म भरने नहीं आ सके।

दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल, दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और वर्तमान में एमिटी, ग्रुरुगाम के कुलपति प्रो. पीबी शर्मा ने कहा- सुशांत सिंह राजपूत अभिनय ही नहीं, पढ़ाई में भी बेहद होशियार और जिंदादिल थे। दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल होने के नाते अक्सर उन छात्रों के चेहरे याद रह जाते हैं, जो पढ़ाई के चलते खास हों। सुशांत का नाम हमेशा इसलिए याद रहा, क्योंकि उन्होंने दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज की दाखिला प्रवेश परीक्षा में देशभर में सातवां स्थान हासिल किया था।

सुशांत ने फिजिक्स का नेशनल ओलंपियाड भी जीता था। सुशांत ने 2003 में करीब 17 से अधिक दाखिला प्रवेश परीक्षा पास की थी। इंडियन स्कूल ऑफ माइंस की परीक्षा भी पास की लेकिन दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने पहुंचे।
प्रो. शर्मा कहते हैं – दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज में वे 2003 से 2006 तक ही रहे। इन तीन सालों में पढ़ाई से लेकर कैंपस फेस्ट में सबसे आगे बढ़कर शिरकत करना, हर किसी के साथ जिंदादिली, मुस्कराते हुये बात करते थे। आज हर पूर्व छात्र, शिक्षकों की आंखें नम है, क्योंकि विश्वास ही नहीं हो रहा कि अब सुशांत नहीं रहे।

डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन के हेड प्रो.रंगानाथ एम सिंगारी ने कहा – अभी फरवरी में मिले तो कहा, बीटेक की डिग्री पूरी करनी है। वे कैंपस आये थे। वे अपनी अधूरी बीटेक डिग्री पूरी करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें आवेदन करना था, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। वर्ष 2003 में इंजीनियरिंग ड्राइंग, वर्कशाप टेक्नोलॉजी, मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस पर अक्सर सुशांत से बात होती थी।
हालांकि उन दिनों उन्हें अभिनय की दुनिया का आकर्षण होने लगा था। चार वर्षीय बीटेक डिग्री पूरी होने से पहले ही तीसरे साल में उन्होंने श्यामक डावर को डांसिंग ऑडिशन के बाद मुंबई की तरफ रुख कर लिया।

मैगी बाबा की 1960 से दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों से दोस्ती है। क्योंकि रात को जब पढ़ाई करते हुए थक जाते या भूख लगती तो वे ही एकमात्र ऐसे थे, जोकि छात्रों से बातें करते हुए मैगी के साथ-साथ चाय पिलाते थे। इसलिए जब 2018 में सुशांत कैंपस आये थे तो विभागों, शिक्षकों से लेकर मैगी बाबा से भी मुलाकात की। बाबा के हाथ की मैगी भी खाई थी।

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