ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा : भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व

New Delhi : शुक्रवार 5 जून को ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा है। स्कंद और भविष्य पुराण के अनुसार ये बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व पर तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने का महत्व बताया गया है। इन सबके प्रभाव से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर तरह के पाप और दोष दूर हो जाते हैं। पुण्य फल मिलता है। इस पूर्णिमा पर भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को धर्मग्रंथों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि को तीर्थ स्नान के साथ ही तर्पण और श्रद्धा अनुसार अन्न एवं जल दान किया जाता है। ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं। ज्येष्ठ की पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण भोजन और जल दान का संकल्प लेना चाहिए। दिन में अन्न और जल दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ संतुष्ट होते हैं और परिवार में समृद्धि आती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिनका विवाह होते होते रुक जाता है या फिर वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही हो। तो ऐसे लोगों को इस दिन सफेद कपड़े पहनकर शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा हर समस्या दूर हो जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *