अभी पैरामिलिट्री कैंटीन में बिकते रहेंगे विदेशी प्रोडक्ट, शाह ने कहा था- 1 जून से नहीं बिकेंगी, रोक लगी

New Delhi : पैरामिलिट्री फोर्स ने सोमवार को 1026 विदेशी उत्पादों के कैंटीन में बेचे जाने पर पाबंदी लगाने का फैसला किया था। इसके चंद घंटे बाद ही गृह मंत्रालय ने आदेश जारी पर गैर-स्वदेशी यानी विदेशी उत्पादों की लिस्ट को होल्ड करने को कहा। एक अधिकारी ने सोमवार 1 जून को यह जानकारी दी। इससे पहले सीएपीएफ की कैंटीनों ने डाबर, वीआईपी इंडस्ट्रीज, यूरेका फोर्ब्स, जकुआर, एचयूएल (फूड्स), नेस्ले इंडिया जैसी कंपनियों के 1026 उत्पादों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कहा था कि संबंधित उत्पादों की 1 जून से उनके यहां बिक्री नहीं होगी क्योंकि ये ‘स्वदेशी’ नहीं हैं या फिर इन्हें पूरी तरह आयातित उत्पादों से बनाया जाता है। गृह मंत्रालय ने 13 मई को घोषणा की थी कि देशभर की 1700 सेंट्रल पुलिस या सीएपीएफ कैंटीन में सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया था। देशवासियों से अपील की थी कि वे स्वदेशी उत्पादों का इस्तेमाल करें, उसे बढ़ावा दें। इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने अधीन आने वाले विभागों और सशस्त्र बलों में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का फैसला लिया था। सेना भी इसी राह पर है। आर्मी प्रमुख ने पिछले दिनों कहा था कि वह कई विदेशी उत्पादों को सेना से बाहर कर रहे हैं।
फुटवियर, स्केचर, रेड बुल ड्रिंक, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, कपड़े, टूथ पेस्ट, हैवेल्स के प्रोडक्ट्स, हॉरलिक्स, शैंपू, बैग समेत कई विदेशी उत्पादों पर रोक लगाई थी। कहा गया था कि इनकी जगह केवल स्वदेशी चीजें इस्तेमाल में लाई जाएंगी। जवानों से भी अपील की गई थी कि वे विदेशी सामान का पूरी तरह बहिष्कार करें।
पैरामिलिट्री फोर्स में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी, असम राइफल्स के करीब दस लाख से ज्यादा जवान हैं। इनके परिवार के सदस्यों को मिला लें तो 50 लाख से ज्यादा लोग सेंट्रल पुलिस कैंटीन से खरीदारी करते हैं। इसको देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब ये जवान स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी करेंगे। गृह मंत्रालय ने इसके लिए तीन कैटेगरी बनाई थी। सबसे ज्यादा प्राथमिकता उन प्रोडक्टस को दिया जाना था, जो पूरी तरह से भारत में तैयार हुए हैं और भारतीय कंपनी के होंगे। दूसरी कैटेगरी में उन्हें शामिल किया गया, जिनका कच्चा माल आयात होता हैं, लेकिन उत्पादन भारत में होता है। केवल इन्हीं दोनों कैटेगरी के उत्पादों की बिक्री की मंजूरी थी। तीसरी कैटैगरी में पूरी तरह से विदेशी उत्पाद को रखा गया है, जिस पर पाबंदी लगाई गई थी। जिसे अब वापस ले लिया है।

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