हम सबका सुपरहीरो : बेटे ने मां को घर से निकाल दिया, बांद्रा स्टेशन पर रो रहीं थीं, सोनू बन गये बेटे

New Delhi : सोनू सूद प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने में मदद करने और खाना खिलाने की अपनी सेवाओं से कहीं आगे बढ़ गये हैं। कुछ लोग उन्हें कोरोना काल में गरीबों का मसीहा कह रहे हैं, लेकिन उनका चाल और चरित्र यह साबित कर रहा है कि वे किसी काल के हीरो नहीं बल्कि इंडिया के इकलौते सुपरहीरो हैं, जो किसी के लिये, कभी भी, कहीं भी मदद करने के लिये पहुंच सकते हैं। जैसे आज एक मां के लिये बांद्रा स्टेशन पहुंच गये। इस बुजुर्ग मां को मुम्बई में रहनेवाले बेटे ने घर से निकाल दिया। वे बांद्रा स्टेशन पर बैठकर रो रही थीं। इसका वीडियो एक लड़की ने सोनू सूद को ट्वीट कर दिया और रोती हुई मां का सहारा बनकर सोनू बांद्रा स्टेशन पहुंच गये।

 

दरअसल यह कहानी है 70 वर्षीय लीलावती केदारनाथ दुबे की। इस बुजुर्ग महिला का छोटा बेटा दिल्ली में रहता है और दूसरा बेटा मुम्बई में। बड़ा बेटा बीमार हो गया तो छोटेवाले बेटे ने देखरेख के लिये उन्हें मुम्बई भेज दिया। अब बेटा जब ठीक हो गया है तो धक्के मार कर मुझे घर से निकाल दिया। अब वे किसी कीमत पर दिल्ली लौट जाना चाहती हैं। दिल्ली जाने के लिये ट्रेन नहीं है। भीख मांग कर किसी तरह जी रही हैं और दिल्ली के ट्रेन का इंतजार कर रही हैं। इस पूरी बात की जानकारी जैसे ही सोनू सूद को हुई वे बांद्रा पहुंच गये और इस मां का सहारा बन गये। इस बुजुर्ग महिला के तीन बेटे और 2 बेटी हैं, लेकिन कोई उन्हे साथ रखने के लिये तैयार नहीं।

 

लेकिन यह स्टोरी पहली भी नहीं है और आखिरी भी नहीं। आखिर कुछ ही दिनों में उन्होंने अकेले अलग-अलग जगह फंसे 15,000 प्रवासी लोगों को घर भेज कर उनके परिवार वालों से मिलवाने का नेक काम किया है। सोनू सूद की वजह से अपने बच्चे से मिल पायी एक मां ने सोनू को एक वीडियो के ज़रिये धन्यवाद कहा है। अपने बच्चे से मिलने की ख़ुशी और उससे दूर रहने की जो पीड़ा इस मां ने झेली। वो आंसुओं में दिख रही है। ये मां कह रही है – मेरा लाल जो मेरे पास है, मैं किस अल्फ़ाज़ में आपका शुक्रिया करूं, थैंक यू करूं? मेरे पास अल्फ़ाज़ ही नहीं हैं, मेरा बेटा मेरे सामने है।

 

अपने बेटे से इतने दिनों बाद मिलने वाली इस मां की ख़ुशी हम वीडियो में देख सकते हैं। उसने सोनू को धन्यवाद करते हुए कहा कि ये काम एक सच्चा भाई ही अपनी बहन के लिए कर सकता है।

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