मोदी ने पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्रों के प्रमुखों को दी ईद की बधाई, पाक पीएम इमरान खान को बधाई नहीं

New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अबू धाबी के वली अहद (क्राउन प्रिंस) शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को ईद की मुबारकबाद दी। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के चलते उभर रही स्थिति पर चर्चा भी की।
मोदी ने ट्विटर पर लिखा – मोहम्मद बिन जायद और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के लोगों को ईद की मुबारकबाद। प्रधानमंत्री ने यूएई में भारतीय नागरिकों का सहयोग करने को लेकर वली अहद का शुक्रिया भी अदा किया, जो यूएई सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर हैं। उन्होंने कहा- भारत-यूएई सहयोग कोविड-19 चुनौती के दौरान और मजबूत हुआ है।

प्रधानमंत्री हसीना के साथ अपनी चर्चा में मोदी ने उन्हें और बांग्लादेश के लोगों को ईद-उल-फितर की शुभकामनाएं दी। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा- हमने चक्रवात अम्फान के प्रभाव के बारे में और कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। इस चुनौतीपूर्ण समय में बांग्लादेश को भारत की ओर से सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।

वैसे तो पीएम मोदी ने बहुत सारे मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों को ईद की बधाई नहीं दी है, लेकिन सबसे अहम है पाकिस्तान, जो हमारा पड़ोसी है। मोदी ने मोहम्मद बिन जायद और शेख हसीना को बधाई दी, लेकिन इमरान खान को नहीं दी जिसकी तमाम वजहे हैं। सबसे बड़ी वजह तो यही है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कोरोना काल में भी वह भारत को अशांति फैलाने में जुटा हुआ है। इस महीने की शुरुआत में ही कश्मीर में हादसा हुआ था। वहीं सीजफायर का उल्लंघन करना तो पाकिस्तान के लिए रोज का काम है। ऐसे में पीएम मोदी का इमरान खान को ईद की बधाई ना देना सीधा-सीधा ये मैसेज है कि भारत इस वक्त पाकिस्तान की हरकतों से खफा है।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और उसके पाकिस्तानी समकक्ष पाकिस्तान रेंजर्स के बीच ईद के मौके पर परंपरागत रूप से होने वाला मिठाइयों का आदान-प्रदान सोमवार को भारत-पाक सीमा पर नहीं हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि अभी दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध रहने के चलते मिठाइयों के आदान प्रदान से बचा गया। उन्होंने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद की घटनाएं पश्चिमी सीमा पर हमेशा की तरह जारी हैं और इसलिए मिठाइयों का आदान-प्रदान भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू से गुजरात तक किसी भी स्थान पर नहीं हुआ।

अधिकारियों ने कहा कि बीएसएफ ने पिछले साल दिवाली के दौरान, अपने स्थापना दिवस पर और गणतंत्र दिवस पर यह परंपरागत रस्म निभाने की कोशिश की थी, लेकिन इस कदम पर पाकिस्तान की ओर से ऐसी ही प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।

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