New Delhi : केरल के पथानमथिट्टा जिले कलेक्टर पी.बी. नूंह पथानमथिट्टा के हीरो बन गये हैं। उन्होंने सिर्फ अपने जिले के लोगों का ही नहीं बल्कि पूरे केरल के लोगों का दिल जीत लिया है। पिछले दिनों सीपीएम के विधायक जेनिश कुमार के साथ नूह का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। तस्वीर में नूंह राशन की बोरी को कंधे पर उठाये नदी पार करके एक आदिवासी गांव जा रहे थे। पी.बी. नूंह एक आइसोलेटेड फैमली की मदद करने पहुंचे। ये तो वायरल होने का किस्सा है। हीरो तो वो इसलिये बने हैं कि उन्होंने अपने जिले को कोरोना वायरस के ग्रीन जोन में पहुंचा दिया है। यह उपलब्धि बहुत स्पेशल है और वो इसलिये है क्योंकि केरल का यह वही जिला है, जहां सबसे पहले कोरोना के सर्वाधिक मरीज मिले थे और यहां कोरोना के काम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बरकरार था।
आज के दिन की सबसे सुकून देने वाली तस्वीर ये #केरला #IAS और #DC है #Pathanamthitta, #PBNooh अपने कंधे पर रसद डाल कर जरूरतमंत के घर पहुंचाने जा रहे है ऐसी तस्वीरों से सुकून मिलता है। #coronafightsindia @AmitShah @PMOIndia @IASassociation @TweetInHindi @DCDeoghar @dmvaranasi2016 pic.twitter.com/8o2uhkX8tu
— Shweta R Rashmi (@shwetar30) April 2, 2020
यहां इटली से एक एनआरआई परिवार आया था। इस परिवार के सदस्य, जो बाद में पॉजिटिव निकले मालूम होने तक कुछ जगहों पर घूम चुके थे, कुछ सरकारी दफ्तर और कुछ रिश्तेदारों के यहां। नूंह बताते हैं – जब पता चला कि इस परिवार के लोग और उनके रिश्तेदार पॉजिटिव टेस्ट हुये हैं तो मैं तिरुवनंतपुरम में एक मीटिंग से लौट रहा था। मुझे ये खबर मिली कि पांच लोग पॉजिटिव आये हैं। हमारे पास इसके लिए कोई प्लान ही नहीं था। पथानमथिट्टा पहुंचते ही रात को 11 बजे हमने हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स और डॉक्टर्स के साथ वीडियो कान्फ्रेन्सिंग की। अगली सुबह हमने एक टास्क फोर्स बनाई जिसमें 50 डॉक्टर शामिल थे और साथ ही जिले के लिए एक एक्शन प्लान भी। ऐसे हालात के लिए तुरंत एक्शन लेना बेहद जरूरी था, लेकिन साथ ही ये भी ध्यान रखना था कि लोग पैनिक न करें।
#CoronavirusOutbreak in Kerala: #Pathanamthitta DC, Local MLA Trek 3 km to Provide Essential Commodities to Tribal Settlement During #COVID19 #Lockdown#PBNooh, #KUJaneeshKumar #Pandemichttps://t.co/2log0mUvwt
— LatestLY (@latestly) March 30, 2020
उनका इलाका केरल का पहला जिला था, जहां संक्रमित मरीज से मिलने वालों का पता करने के लिए फ्लो चार्ट का इस्तेमाल हुआ। इसके लिए रूट मैप बनाया, जो बताता था कि कोच्ची एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ये पति पत्नी और उनका 24 साल का बेटा कहां-कहां गये। तब तक उनके परिवार के कई लोग पॉजिटिव आ चुके थे और प्रशासन को यह फ्लो चार्ट पब्लिक करना पड़ा। बहरहाल सब पर नजर रखी गई। करीब 1300 लोगों पर।
बाद में पूरे देश में नूंह के फ्लोचार्ट को कोरोना संदिगधों की पहचान और आईसोलेशन में इस्तेमाल किया गया। अब जब पूरा देश 1.12 लाख कोरोना मरीजों से कराह रहा है तो नूंह का जिला ग्रीन जोन में है। रेड जोन से ग्रीन जोन में आने में इस जिले को 40 दिन लगे। जिस समय पीबी नूंह ने राशन की बोरी ढोई थी उस समय केरल में 286 कोरोना मरीज थे जो देश में सबसे अधिक था।
You think your job is tough? Just two months into his job, he had to rescue 14 million people from once in a 100 yrs floods. Five months later, stop lakhs from fighting each other over a temple. Now, stopping Kerala's corona spread was in his hands.https://t.co/1LDzyxN4PY
— Nidheesh M K (@mknid) March 21, 2020
नूह केरल के ही रहनेवाले हैं। उनके पिता एक छोटी सी राशन की दुकान चलाते थे और 10 लोगों का परिवार उसी कमाई के भरोसे था। नूह कहते हैं उनके पेरेंट्स की कोशिश थी कि सभी बच्चों की पढ़ाई अच्छी हो। हमें मां पिता ने कभी स्कूल से छुट्टी नहीं लेने दी। कहते हैं पूरी स्कूलिंग में सिर्फ दो दिन स्कूल से छुट्टी ली और वो भी उनके दादा-दादी की मौत के वक्त। उनके भाई पीबी सलीम भी आईएएस हैं और उनके सिविल सर्विस में जाने के पीछे का कारण भी। नूंह पहले डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन, बड़े भाई के आईएएस बनने के बाद उन्होंने भी सिविल सर्विस में आने का फैसला लिया। वे बैंगलुरू की युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस से पीजी किया। पहले प्रयास में आईएफएस बने और 2012 में दूसरी बार यूपीएससी देकर आईएएस।