New Delhi : राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने दोहराया है कि उत्तर प्रदेश ने जिस तरह से अपने यहां के विद्यार्थियों को वापस बुलाया है, उसी तरह से अन्य राज्यों को भी आगे आना चाहिए। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने कहा है कि कोटा से विद्यार्थियों को पटना लाए जाने से लॉकडाउन का मजाक उड़ेगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी साफ कर दिया है कि लाए जा रहे छात्रों को जांच के बाद होम क्वारंटाइन किया जाएगा।
इधर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ने भी छात्रों की वापसी के लिए सूची तैयार कर ली है। हालांकि यूपी सरकार के फैसले पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा, इससे अन्य लोगों में खौफ बढ़ेगा। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योगी आदित्यनाथ की इस फैसले के लिए प्रशंसा की। गहलोत ने यह भी कहा, अन्य राज्य भी चाहें तो यूपी की तरह अपने छात्रों को वापस बुलाने का फैसला कर सकते हैं।
शेखावत ने शनिवार को कहा मेरा मानना है कि कुछ छात्रों को वापस लाने के लिए बसें भेजना कोई स्थायी हल नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें फंसे हुए लोगों के संपर्क में रहना चाहिए और स्थिति के नियंत्रण में आने तक उन्हें वहीं रहने के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना चाहिए।उन्होंने कहा, मैं यूपी व राजस्थान सरकार, दोनों के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं उनका दर्द समझ सकता हूं, जिनके लोग जहां तहां फंसे हैं क्योंकि मैं भी उन अभिभावकों में से एक हूं और मेरा बेटा भी दूसरे राज्य में पढ़ रहा है।
राजस्थान के कोटा में पढ़ाई कर रहे छात्रों की परेशानी को देखते योगी सरकार उन्हें कोटा से ला रही है। सभी छात्र परिवहन निगम की बसों से लाए जा रहे हैं। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि इन सभी छात्रों की कोरोना टेस्टिंग के साथ ही पूरा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। इसके बाद सभी छात्रों को होम क्वारंटाइन किया जाएगा। कोटा से करीब सौ बसों के जरिए लगभग तीन हजार छात्रों को उप्र के विभिन्न जिलों में लाया गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एकबार फिर कहा है कि उत्तर प्रदेश ने जिस तरह से अपने यहां के विद्यार्थियों को वापस बुलाया है, उसी तरह से अन्य राज्यों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोटा में कई राज्यों के 15 से 20 वर्ष तक के बच्चे विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए रह रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोटा से विद्यार्थियों को पटना लाए जाने के प्रकरण पर कहा है कि ऐसा करने से लॉकडाउन का मजाक उड़ेगा। कुछ लोग नहीं माने और यहां आ गए। उन्हें सीमा पर नहीं रखा गया बल्कि, जांच के बाद घर भिजवाने की व्यवस्था की गई है। अब कोई कहे कि कोटा में जो लोग हैं, उन्हें फिर बुला लिया जाए या फिर देश के कोने-कोने में जो लोग फंसे हैं, उनकी बात मानकर उन्हें यहां बुलाने लगे, तो इससे लॉकडाउन का मजाक ही उड़ेगा। वहीं राजस्थान प्रशासन की बिना अनुमति के कोटा से विद्यार्थियों को बंगाल ले जाने की योजना बनाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधिकारी संदीप विश्नोई ने बताया कि बंगाल के हावड़ा जिला निवासी अब्दुल शकूर व मनीष जगवानी को पकड़ा गया है। पूछताछ में इन्होंने बताया कि वे 40 विद्यार्थियों को पैसे लेकर गलत ढंग से उनके घर तक पहुंचाने की तैयारी कर रहे थे । शनिवार रात प्रयागराज पहुंची बसों में आए विद्यार्थियों को अलग-अलग गेस्ट हाउस में क्वारंटाइन किया गया है। सीएमओ डॉ. जीएस बाजपेई ने कहा कि सभी छात्र-छात्राओं को घर भेजने से पहले उनका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाएगा। 317 विद्यार्थियों को रात 10 बजे तक लाया गया था।
बसों द्वारा कोटा से लाए गए विद्यार्थियों का पहले पड़ाव झांसी पहुंचने से पूर्व प्रशासन द्वारा निर्धारित चार जांच केंद्रों पर स्क्रीनिंग व स्वास्थ्य जांच की गई। 105 से अधिक बसों से झांसी, गोरखपुर-बस्ती मंडल व प्रयागराज व अन्य जिलों के लगभग 2700 छात्र-छात्राएं शनिवार को झाँसी पहुंचे थे। जांच के बाद झांसी के 120 से अधिक विद्यार्थियों को पैरामेडिकल कालेज में क्वारंटाइन कर दिया गया। जबकि अन्य बसों को प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी व अन्य गंतव्य के लिए रवाना करने का कार्य देर रात तक जारी रहा।
प्रत्येक बस में करीब 30 विद्यार्थियों के बैठने का प्रबंध किया गया था। शारीरिक दूरी को ध्यान में रखते हुए एक सीट पर एक ही विद्यार्थी को बैठाया गया। इससे पहले शुक्रवार देर रात को भी उत्तर प्रदेश की बसें कोटा से विद्यार्थियों को लेकर रवाना हुई थीं। करीब एक हजार विद्यार्थी अभी कोटा में और फंसे हुए हैं, जिन्हें रविवार को ले जाया जा सकता है। उन्हें बसों में बैठाने से पहले सैनेटाइजर, मास्क, पानी की बोतल और भोजन के पैकेट दिए गए। उन्हें समझाया गया कि रास्ते में किन-किन बातों का ध्यान रखना है। प्रत्येक बस में दो डॉक्टर और दो पुलिसकर्मी भेजे गए।