अच्छी खबर : गेहूं की रिकॉर्ड 10.62 करोड़ टन पैदावार, आलू-प्याज का उत्पादन भी पिछले सीजन से ज्यादा

New Delhi : देश में कोरोना आपदा और जबरदस्त लॉकडाउन के बीच राहतभरी खबर आई है। इस रबी सीजन में गेहूं, चना से लेकर आलू-प्याज की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। गेहूं का उत्पादन इस साल रिकॉर्ड तोड़ 10.62 करोड़ टन तक पहुंचने वाला है। पिछले साल के मुकाबले इस बार 40 लाख टन ज्यादा गेहूं होगा। इतना ही नहीं, गोदामों में पहले से ही गेहूं और चावल का बफर स्टॉक है, इसलिए भविष्य में खाद्यान्न पर्याप्त उपलब्ध रहेगा।
बफर स्टॅाक को देखते हुए सरकार ने 90 हजार टन गेहूं के निर्यात का फैसला भी लिया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पैदा होने वाले कुल गेहूं में से 85 से 90% की खपत होती है। देश में सालाना करीब 9 करोड़ टन गेहूं लग जाता है और एक से डेढ़ करोड़ टन से ज्यादा गेहूं की बचत होगी। देशभर में कुल पैदा होने वाले गेहूं का 83% पांच राज्यों में होता है। इनमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा शामिल हैं। 17% उत्पादन शेष राज्यों में होता है।

कंबाइन मशीन से गेहूं की कटाई और दानों की छंटाई की स्वीकृति दे दी गई है।

सर्दी अधिक पड़ने से हरियाणा और पंजाब में फसल 7 से 10 दिन देरी से पकी है। सामान्य तौर पर यहां गेहूं की कटाई 10 से 20 अप्रैल के बीच होती है। गेहूं काटने और दाना निकालने की मशीन से कटाई तेजी से होती है और सरकार ने मशीन से कटाई की इजाजत दे दी है। यहां 15 अप्रैल से कटाई शुरू हो जाएगी। कंबाइन से एक एकड़ का गेहूं 20 मिनट में काटकर ट्राली में लाद दिया जाता है। इसमें ड्राइवर समेत केवल 3 लोगों की जरूरत होती है, इसलिए लॉकडाउन से कटाई प्रभावित नहीं होगी।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार सर्दी अधिक पड़ने से गेहूं अच्छी तरह पका है और दाने की गुणवत्ता भी अच्छी है। फसल कटने में भी देरी नहीं हुई है। पंजाब, हरियाणा और प. यूपी में अब फसल तैयार हुई है। गेहूं की खड़ी फसल के दाने खेत पर नहीं गिरते हैं। जैसे सरसों के पकने के एक-दो दिन में गिरने लगते हैं। इसलिए नुकसान नहीं होगा।
कृषि विशेषज्ञ और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट, करनाल के निदेशक डॉ. जीपी सिंह ने कहा कि मप्र, गुजरात, उप्र और पंजाब का शरबती गेहूं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, इसलिए विदेशों में पसंद किया जाएगा और निर्यात का फायदा मिलेगा। विदेशों में पिज्जा, पास्ता, ब्रेड और बिस्कुट की अधिक मांग होती है। हमने तीन नई किस्म विकसित की है। गेहूं उत्पादन करने वाले देश चीन, रूस, उजबेकिस्तान, कनाडा में पैदावार प्रभावित होने की आशंका है, इसलिए निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। भारत के पास पहले से ही गेहूं का अतिरिक्त स्टॉक मौजूद है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ. एसपी शर्मा का कहना है कि कोराेना की वजह से देश में मौजूदा समय सबसे अधिक खाद्य पदार्थों की जरूरत है। बंपर पैदावार से सप्लाई चेन को मजबूत करने में मदद मिलेगी। मौजूदा समय में खाद्य पदार्थ के अलावा किसी अन्य चीज की डिमांड नहीं होगी। जब पैदावार अच्छी होती है, तो उसका सबसे बड़ा लाभ किसानों और ग्रामीणों को होता है। ग्रामीणों की आय बढ़ती है तो बाजार में खरीदारी बढ़ती है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग बढ़ती है। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *