अंगद ने रावण को कहा – तुम मरे हुये हो, फिर अंगद ने चौदह ऐसे लोग बताये जो जीवित रहते हुये भी मृत समान होते हैं

New Delhi : रामायण सीरियल में अंगद प्रसंग खत्म हो गया। ये बेहद रोचक और प्रेरणादायी है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के लंका कांड में रावण और अंगद के बीच होता है। इस संवाद में अंगद ने रावण को 14 बुरी आदतें बताई थीं, जिनकी वजह से कोई भी व्यक्ति जीते जी शव की तरह हो जाता है। लका कांड में लिखा है कि-

रामायण सीरियल में राम सीता विवाह दृश्य

तोहि पटकि महि सेन हति चौपट करि तब गाउँ।
तव जुबतिन्ह समेत सठ जनकसुतहि लै जाउँ।।

इस दोहे में अगंद रावण से कह रहे हैं – मैं तुझे जमीन पर पटक-पटककर खत्म कर सकता हूं। तेरी सेना को नष्ट कर सकता हूं। तेरी सभी स्त्रियों को और माता सीता को ले जा सकता हूं।

जौं अस करौं तदपि न बड़ाई। मुएहि बधें नहिं कछु मनुसाई।।

यदि मैं ऐसा करूंगा तब भी इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। मरे हुए को मारने से यश नहीं मिलता है।
इसके बाद अंगद रावण को बताते हैं – किन लोगों का मरा हुआ समझना चाहिए।

कौन कामबस कृपनि बिमूढ़ा। अति दरिद्र अजसि अति बूढ़ा।।
सदा रोगबस संतत क्रोधी। बिष्नु बिमुख श्रुति संत विरोधी।।
तनु पोषक निंदक अद्य खानी। जीवत सब सम चौदह प्रानी।।

इन चौपाइयों में अंगद ने चौदह ऐसे लोग बताए हैं जो जीवित रहते हुए भी मृत समान होते हैं।
1. कामवश- जो व्यक्ति बहुत अधिक कामुक है, कामवासना में लिप्त रहता है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो व्यक्ति सिर्फ अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए ही सोचता रहता है, वह मृत समान है।
2. वाम मार्गी- जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले। जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।
3. कंजूस- ज्यादा कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी अच्छे काम में हिस्सा लेने में हिचकता हो। दान करने से बचता हो। ऐसा आदमी भी मृत समान ही है।
4. अति दरिद्र- गरीबी सबसे बड़ा दुख है। धन के अभाव में जीवन में कई बार मृत्यु के समान दुखों का सामना करना पड़ता है। छोटी-छोटी चीजों को लिए भी तरसना पड़ता है। इसी वजह से जो व्यक्ति धनहीन होता है, उसे भी मृत समान माना गया है। गरीब व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योकि वह पहले ही गरीबी से मरा हुआ होता है। ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए।
5. विमूढ़- विमूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरे हुए की तरह होता है। जिसके पास बुद्धि नहीं है, जो खुद निर्णय ना ले सके, हर काम को समझने या निर्णय को लेने में किसी दूसरे पर निर्भर हो, वह व्यक्ति भी जीवित होते हुए भी मृत के समान ही है।
6. अजसि- जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर, परिवार, कुटुंब, समाज, नगर या राष्ट्र, किसी भी क्षेत्र में सम्मान नहीं पाता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।
7. सदा रोगवश- जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरे हुए की तरह ही होता है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मुक्ति चाहता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति स्वस्थ्य जीवन के आनंद से दूर हो जाता है।
8. अति बूढ़ा- अत्यंत बूढ़ा व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह दूसरों पर निर्भर हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कई बार बूढ़ा व्यक्ति खुद ही मृत्यु की कामना करने लगता है, ताकि इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।
9. संतत क्रोधी- जो लोग हमेशा ही क्रोध में रहते हैं, वे भी मृत समान ही हैं। हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना ऐसे लोगों का काम होता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि, दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है।
10. अघ खानी- जो व्यक्ति अधार्मिक कर्मों से कमाए हुए धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही माना गया है। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है।
11. तनु पोषक- ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से खुद के सुखों के लिए और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, किसी दूसरे व्यक्ति के लिए उसके मन में कोई संवेदना ना हो तो ऐसा व्यक्ति भी मृत समान ही है।

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12. निंदक- दूसरों की बुराई करने वाले को भी मरा हुआ माना गया है। जिस व्यक्ति को दूसरों में सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता, वह भी मृत समान होता है।
13. विष्णु विमुख- जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो लोग ये सोचते है कि कोई भगवान है ही नहीं। हम जो करते हैं, वही होता है। संसार हम ही चला रहे हैं। जो देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखते हैं, ऐसे लोगों को भी मृत माना जाता है।
14. संत और वेद विरोधी- जो व्यक्ति संतों और ग्रंथों का विरोध करते हैं, वे भी मृत समान होता है। संत और ग्रंथ, हमेशा ही पूजनीय और सम्मान के योग्य हैं।

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