New Delhi : सैनिक की एक तमन्ना होती है। लड़ते हुए वो मातृभूमि के लिये शहीद हो जाये। दुश्मनों के मंसूबों को चकनाचूर कर दे। सैनिक मानते हैं कि देश के लिये मरने से कोई अच्छी मौत नहीं। मगर बहुत किस्मतवाले सैनिक होते हैं जिनको ऐसी मौत नसीब होती है। और जिनको ऐसी शहीदी नसीब होती है उन पर पूरा देश गर्व करता है।
और 23 साल के उत्तराखंड के रहनेचाले अमित कुमार को भी इसी तरह की शहादत नसीब हुई। अमित कुमार पर पाकिस्तान के आतंकियों ने गोलियों की बरसात कर दी। उन्हें पंद्रह गोलियां मारी गईं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। और निहत्थे ही आतंकवादियों पर टूट पड़े और अंत में एक आतंकवादी को हाथ से ही दबोच लिया। और उसको अपने चाकू से ही गोद डाला। आतंकवादी की जान लेने के बाद ही अमित कुमार ने दम तोड़ा।
यह कहानी है उत्तरी कश्मीर के जामगुंड क्षेत्र में भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ करने वाले पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ पैराट्रूपर अमित कुमार और उनके चार अन्य बहादुर सैनिकों की, जो आतंकियों के साथ हुई गुतथम गुत्थी लड़ाई में शहीद हो गये। पिछले हफ्ते एलओसी पर घुसपैठ हुई थी। पुष्टि होने पर सर्च पार्टियां शुरू की गईं। हालांकि, पूरे सप्ताह इंडियन आर्मी उनको खोजते रही और पाकिस्तानी आतंकवादी क्षेत्र में तैनात भारतीय सैनिकों के साथ कई बार सामना होने के बावजूद भागने में सफल रहे। शनिवार को बाद में 4Para Special Forces के दो दस्ते को आतंकवादियों की तलाश में लगाया गया। इसमें से एक दस्ते में पैराट्रूपर अमित कुमार, सूबेदार संजीव कुमार, पैराट्रूपर बाल कृष्ण, हवलदार देवेंद्र सिंह और पैराट्रूपर छत्रपाल सिंह शामिल थे।
4 अप्रैल की देर शाम स्पेशल फोर्स के ये जवान जुमगुंड गांव के पास जंगल में आतंकवादियों को घेरने में कामयाब हो गये। स्थानीय पत्रकार शिव अरूर के अनुसार – सूबेदार संजीव ने पैराट्रूपर्स अमित और छत्रपाल के साथ मिलकर आतंकवादियों को बर्फ में पैदल ट्रैक करने की कोशिश की और बाद में एहसास हुआ कि वे पहाड़ के साथ एक कंगनी में चले गये।
इसी बीच स्पेशल फोर्स के जवान बर्फ में धंसने लगे और गिर पड़े। और तभी उनकी नजर आतंकियों पर पड़ी जो एक जमे हुए नाले में छिपे हुए थे। एक करीबी लड़ाई शुरू हो गई। इस दौरान जवानों पर आतंकियों ने गोली चला दी। जवान अमित को 15 बुलेट शॉट लगे। जबकि सूबेदार संजीव और पैराट्रूपर छतरपाल भी गंभीर रूप से घायल हो गये। अमित कुमार ने गोलियां लगने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और एक आतंकी को मार गिराया। संजीव के साथ मिलकर दो आतंकवादियों को मार गिराया। दूसरी ओर, हवलदार देवेंद्र और पैराट्रूपर बालकिशन अपने घायल साथियों को बचाने के लिए आगे बढ़े और आतंकवादियों के सीधे गोलियों का निशाना बन गये। वे भी एक और दो आतंकवादियों को खत्म करने में कामयाब रहे। पांचवा आतंकवादी जो घटनास्थल से भागने में सफल रहा, उसे बाद में 8 जाट के सैनिकों ने मार दिया।
एक वरीय अधिकारी ने बताया – किस्मत में यही होगा, जहां वे गिरे थे, आतंकवादी वहीं बैठे थे। इसके कारण प्वाइंट ब्लैंक रेंज पर जंग हुई। अब हमें स्पेशल फोर्स के जवानों के इस जंग को भविष्य के लिये मानक के रूप में स्थापित करना है कि कैसे सभी जवानों ने गिरने के बावजूद और बिना हथियारों के सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया।
जब-जब हम अपनी मातृभूमि पर जान न्यौछावर करनेवालों के नाम लेंगे तो इन 5 शहीदों के नाम जरूर लिये जायेंगे। उनकी राष्ट्रभक्ति और साहस को पूरा देश सलाम करता है। देश और उसके लोगों की सेवा करने के लिए उनका बलिदान और निस्वार्थ जुनून ही हमें सुरक्षित जीवन का आनंद लेने की आजादी देता है। जय हिंद।