रामायण सीरियल के एक दृश्य में हनुमान बने दारा सिंह

रामायण से पहले ‘हनुमान’ बन चहेते बन गये थे दारा सिंह, रामानंद सागर के सपने में आते थे हनुमान बनकर

New Delhi : रामायण टीवी सीरियल से घर-घर में बजरंगबली की पोस्टर और फोटो बनने से कई साल पहले भी वेटरन दारा सिंह को लोग बजरंगबली के रूप में स्वीकार कर चुके थे। 1976 में आई फिल्म बजरंगबली से। इस फिल्म का निर्देशन किया था चंद्रकांत ने और इस फिल्म में श्रीराम का रोल वेटरन एक्टर विश्वजीत ने निभाया था। मां सीता का रोल उस समय की सबसे चर्चित एक्ट्रेस में से एक मौसमी चटर्जी ने निभाया था। सुप्रसिद्ध विलेन प्रमनाथ ने इस मूवी में रावण का किरदार निभाया था।

इस फिल्म में श्रीराम का रोल वेटरन एक्टर विश्वजीत ने निभाया था। मां सीता का रोल उस समय की सबसे चर्चित एक्ट्रेस में से एक मौसमी चटर्जी ने निभाया था। सुप्रसिद्ध विलेन प्रमनाथ ने इस मूवी में रावण का किरदार निभाया था।


सितंबर 1976 में रिलीज हुई यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई थी और बाक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिये थे। इस फिल्म का संगीत भी काफी हिट रहा था। मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर कल्याण जी आनंद जी ने इसका म्यूजिक कंपोज किया था और गीत प्रदीप ने लिखे थे। एक तरह से देखिये तो पूरी स्टारकास्ट ही बेहद भव्य थी।

इस फिल्म में हनुमान का किरदार दारा सिंह ने इस संजीदगी के साथ निभाया था कि टीवी सीरियल रामानंद सागर के तन मन में दारा सिंह बतौर हनुमान रच बस गये थे। हालात ये थे कि जब सीरियल बनने की तैयारियां शुरू हुईं तो रमानंद सागर अपने सपने में दारा सिंह को ही हनुमान रूप में देखते थे।
इस मसले पर बात करते हुए दारा सिंह के बेटे विंदु दारा सिंह ने बताया कि उनके पिता को सबसे पहले हनुमान बनाने का काम 1976 में चंद्रकांत ने किया था। जिन्होंने दारा सिंह के साथ फिल्म बजरंग बली बनाई थी। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और पिता को घर घर में पवन पुत्र हनुमान के नाम से पहचाना जाने लगा। बजरंग बली की रिलीज के 11 साल बाद रामानंद सागर ने रामायण टीवी शो बनाया।

विंदु कहते हैं – पापाजी (रामानंद सागर) ने जब रामायण बनाना शुरू किया था तो दीपिका चिखलिया सीता के रोल के लिए पहली पसंद थीं। अरुण गोविल राम के लिए फर्स्ट चॉइस नहीं थे। वे किसी और रोल के लिए चुने गए थे लेकिन उन्होंने कहा कि वे केवल राम का ही रोल करना चाहते हैं। एक रात पापाजी को सपने में मेरे पिता हनुमान के रूप में दिखाई दिए। मेरे पिताजी के पास जब यह रोल आया तो उनके पास इसे करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था, क्योंकि पापाजी को कोई मना नहीं करता था।

रामायण के बाद महाभारत में भी थे दारा सिंह : विंदु बताते हैं- उस वक्त मेरे पिता जी की उम्र 60 साल थी। और सालों रेसलिंग करने के बाद उनके घुटने और कंधे परेशानी देने लगे थे। रामानंद सागर जी ने ही उन्हें रोल के लिए मनाया। हालांकि वे हनुमानजी के रोल के लिए पूरी तरह फिट थे। रामायण ने ही दारा सिंह को हनुमान जी का चेहरा बना दिया था। रामायण के फिर से टेलीकास्ट होने पर विंदु खुश हैं। उन्होंने बताया कि रामायण ने ही सागर्स को वापस लाने का काम किया था। मेरे पिता ने इसके बाद सिर्फ एक बार और बीआर चोपड़ा की महाभारत में हनुमान का रोल निभाया था, लेकिन वह काफी छोटा था। जब तक दारा सिंह थे तब तक हनुमान के रोल के लिए वही पहली पसंद रहे। उनके बाद विंदु ने उनकी जगह ली। 1996 में टीवी शो जय वीर हनुमान के लिए उन्हें रोल ऑफर हुआ था। विंदु कहते हैं- मैं इस बात को लेकर हिचकिचा रहा था कि जो रोल मेरे पिता ने निभाया है उसमें मैं कैसे निभा पाऊंगा लेकिन मैंने इसे चैलेंज की तरह लिया। अब मुझे हर साल दिल्ली में रामलीला के द्वारा हनुमान का रोल निभाने बुलाया जाता है।

रामायण सीरियल के एक दृश्य में हनुमान बने दारा सिंह


बहरहाल रामायण पर कई सीरियल बने लेकिन रामानंद सागर की रामायण ने ऐसा इतिहास रचा जो दशकों तक लोग भूल नहीं पायेंगे। अभी जब रामायण का फिर से प्रसारण शुरू हुआ है तो इस सीरियल ने फिर से टीआरपी के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रामानंद सागर को खासतौर से ‘रामायण’ के लिए जाना जाता है। इस सीरियल का हर किरदार अपने आप में खास था। बात चाहे राम बने अरुण गोविल की हो या फिर रामभक्त हनुमान बने दारा सिंह की।
हम बात करते हैं रामायण में हनुमान के किरदार का। इस रोल को दारा सिंह ने जीवंत बना दिया था। रामायण सीरियल में उन्होंने हनुमान का रोल ऐसे निभाया कि लोग उन्हें राम भक्त हनुमान ही समझने लगे। वो इस शो के बाद इतने फ़ेमस हो गए थे कि लोग मंदिरों में और अपने घरों में हनुमान की मूर्ती और तस्वीरों के स्थान पर उनके ही पोस्टर और मूर्तियां लगाने लगे थे। हनुमान के रोल में दारा सिंह तब भी सबसे पसंदीदा थे और आज भी सभी के फेवरिट हैं। दारा सिंह वो नाम थे जिनका नाम हिंदी सिने जगत और रेसलिंग की दुनिया में बड़े ही अदब से लिया जाता था। रुस्तम-ए-हिंद उर्फ़ दारा सिंह ने हिंदी फ़िल्मों में शर्टलेस होने का ट्रेंड शुरू किया था। उनका असली नाम दीदार सिंह रंधावा था। हिंदी सिने जगत में उन्होंने काफ़ी मान-सम्मान कमाया। एक दौर ऐसा भी था जब लोग उन्हें भगवान मानकर उनकी पूजा भी करने लगे थे।
क़िस्सा रामायण सीरियिल से जुड़ा है। बात उन दिनों की है जब रामानंद सागर को इस सीरियल के लिए एक्टर्स की तलाश थी। राम के किरदार के लिए वो अरुण गोविल को फ़ाइनल कर चुके थे। लेकिन राम भक्त हनुमान के लिए उन्हें एक गठीले कद वाले एक्टर की तलाश थी। उनकी ये तलाश दारा सिंह पर जाकर ख़त्म हुई जो पहलवानी के साथ ही फ़िल्मों में अपना जलवा दिखा चुके थे।
दारा सिंह यानी दीदार सिंह रंधावा पंजाब के अमृतसर में पैदा हुये। व‍ह ऐक्‍टर होने के साथ-साथ एक रेसलर भी थे। लंबी-चौड़ी कद-काठी। मजबूत शरीर और खूबसूरत चेहरे के साथ दमदार आवाज। ‘रामायण’ में जब दारा सिंह को हनुमान के रोल में कास्‍ट किया गया, तब सभी को सबसे अधिक चिंता थी उनके पंजाबी टोन की। पौराणिक कथा होने की वजह से ‘रामायण’ के सभी डायलॉग्‍स विशुद्ध हिंदी में थे। लेकिन दारा सिंह ने बखूबी काम किया और पूरे देश का दिल जीत लिया। वो भी तब जब वो उम्र के सातवें दशक में थे। उनको जब रामायण में हनुमान का किरदार ऑफर हुआ तो वे 60 साल की उम्र क्रॉस कर चुके थे।

रामायण के एक महत्वपूर्ण दृश्य में हनुमान जी यानी दारा सिंह


जब रामायण की कास्‍ट‍िंग हो रही थी, तब हनुमान के रोल के लिए रामानंद सागर के जेहन में सिर्फ एक नाम था दारा सिंह। लिहाजा उन्‍होंने फोन उठाया और दारा सिंह से कहा – दारा आप मेरे नए टीवी सीरियल में हनुमान का रोल कर रहे हैं। इस पर दारा सिंह तब थोड़े हिचके भी थे। दारा सिंह ने रामानंद सागर से कहा – सागर साहब, मैं अब करीब 60 साल का हो गया हूं। किसी यंग ऐक्‍टर को कास्‍ट कर लीजिए। इस पर रामानांद सागर बोले – आप हनुमान हो। आप बेस्‍ट हो। जाहिर तौर पर दारा सिंह उनकी बात काट नहीं सके और वह हनुमान बन गए। फिर एक दौर ऐसा भी आया जब मंदिरों में हनुमान के रूप में दारा सिंह की तस्‍वीरें लगने लगी थीं। दारा सिंह को भारतीय सिनेमा का ‘आयरन मैन’ कहा जाता था। 19 नवंबर 1928 को पैदा हुए दारा सिंह का 2012 में 12 जुलाई के दिन 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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