New Delhi : चैत्र माह की अमावस्या संवत्सर की पहली अमावस्या होती है इसलिए इसे पितृ कर्म के लिये बहुत ही शुभ फलदायी मानाजाता है। अपने पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण करना चाहिये। इस बार 24 मार्च को यह दिन मनाया जाएगा। मंगलवार होने सेइस पर्व को भौमावस्या भी कहा जाएगा।
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है।पितृ तर्पण करने के लिए नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण कोभोजन कराना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
अमावस्या का समय 24 मार्च, मंगलवार सुबह सूर्योदय से आरंभ होकर दोपहर 2:50 तक रहेगा। यह समय विशेष तौर पर स्नान–दान कीदृष्टि से अधिक महत्व का माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार इस अमावस्या पर पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। मान्यता है किइस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
अमावस्या पर पीपल की पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार पीपल में भगवान का वास होता है। वहीं अन्यग्रंथों के अनुसार यही एक ऐसा पेड़ है जिसमें पितर और देवता दोनों का निवास होता है। इसलिए अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकरनहाने के बाद सफेद कपड़े पहनकर लोटे में जल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल में चढ़ाया जाता है। इससे पितरों को तृप्ति प्राप्तहोती है। इसके बाद पीपल की परिक्रमा भी की जाती है और पेड़ के नीचे दीपक भी लगाया जाता है।
अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर संभव हो सके तो किसी नदी में स्नान जरूर करें। स्नान के बादजरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है। अमावस्या पर दान करने का विशेष महत्व है। इस तिथि पर किसी जरूरतमंद को भोजन, कपड़े, फल, खाने की सफेद चीजें, पानी के लिए मिट्टी का बर्तन और जूते या चप्पल दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही किसीब्राह्मण को भी भोजन करवाना चाहिए या मंदिर में आटा, घी, नमक और अन्य चीजों का दान करना चाहिए।