भड़काऊ भाषण देने वाले BJP नेताओं पर FIR का आदेश देने वाले जज को फेयरवेल देने हाईकोर्ट में उमड़े वकील

New Delhi : lJustice S Muralidhar का शानदार अंदाज में फेयरवेलहुआ. फेयरवेल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीहैं, और इसे लेकर रिएक्शन भी रहे हैं. बॉलीवुड डायरेक्टर Onir ने जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर अपना पक्ष रखा है. वैसे भीओनिर (Onir) समसामयिक मसलों पर बेबाकी के साथ अपनी राय रखने के लिए पहचाने जाते हैं

Justice S Muralidhar को फेयरवेल देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे तमाम वकीलों की भीड़ उमड़ आई. Justice S Muralidhar को अलविदा कहने के लिए इतने लोग पहुंचे कि वहां बैठने की जगह तक नहीं बची और लोग सीढ़ियों पर खड़े हो गए. इसफेयरवेल प्रोग्राम की तस्वीर दिल्ली हाईकोर्ट की एडवोकेट नंदिता राव ने अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर की है. तस्वीरों में साफ देखा जासकता है कि किस तरह काले कोट पहने वकीलों का परिसर में जमावड़ा लगा हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहाहाईकोर्ट में आज Justice S Muralidhar को विदाई दी गई, जिन्हेंदिल्ली पुलिस को दंगा अधिनियम पढ़कर सुनाने के दिन रात 11 बजे स्थानांतरित कर दिया था. हाईकोर्ट ने कभी किसी जज की इतनीशान से विदाई नहीं देखी. उन्होंने दिखाया कि शपथ के प्रति ईमानदार एक न्यायाधीश संविधान को बनाए रखने और अधिकारों की रक्षाकरने के लिए क्या कर सकता है.

बॉलीवुड डायरेक्टर Oni ने Justice S Muralidhar को लेकर ट्वीट कियादिल्ली हाई कोर्ट और हम लोगों का बड़ा नुकसानखासकरअन्याय के इस अंधकार युग में

Justice S Muralidhar अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज का कार्यभार संभालेंगे. दिल्ली हिंसा को लेकर जस्टिस मुरलीधर नेसुनवाई की थी, और उसके बाद ही 26 फरवरी को उनका तबादला पंजाब और  हरियाणा हाई कोर्ट के लिए कर दिया गया था. उन्होंनेभड़काई भाषण देने के लिए BJP नेताओं पर दिल्ली पुलिस के कार्रवाई करने पर फटकार लगाई थी.

मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील Justice S Muralidhar निजी जीवन में सादगी पसंद व्यक्ति हैं. CAA को लेकर23-24 फरवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा की घटनाओं के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में Justice S Muralidhar ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस और भाजपा के कुछ नेताओं को आड़े हाथ लिया था. उनके तबादले के समय को लेकरअलगअलग बातें कही गईं. सरकार की ओर से दलील दी गई कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश केअनुरूप तबादले की यह एक सामान्य प्रक्रिया थी.

Justice S Muralidhar के तबादले को लेकर उठे विवाद को एक तरफ कर दिया जाए तो इसमें दो राय नहीं कि उन्हें मानवाधिकारों औरनागरिक अधिकारों के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहने वाले न्यायाधीश के रूप में देखा जाता हैउन्होंने कोरेगांवभीमा हिंसा मामले में गिरफ्तारसामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड पर 2018 में रोक लगाने वाली पीठ के सदस्य के रूप में सरकार और व्यवस्थाको खरी खरी सुनाई थी. 1986 के हाशिमपुरा नरसंहार के मामले में उप्र पीएसी के 16 कर्मियों और 1984 के सिख विरोधी दंगों सेसंबंधित एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को सजा सुनाने में Justice S Muralidhar की कलम जरा नहीं डगमगाई. वहउच्च न्यायालय की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 2009 में दो वयस्कों में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर रखनेकी ऐतिहासिक व्यवस्था दी थी.

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