एलएंडटी, सीमेंस, जीएमआर समेत 23 कंपनियां ट्रेनें चलाने को तैयार, कई विदेशी कंपनी भी रेस में

New Delhi : एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, सीमेंस एजी, भारत फोर्ज लिमिटेड और जीएमआर ग्रुप उन 23 कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी रेल नेटवर्क में से एक पर निजी गाड़ियों को चलाने में शुरुआती दिलचस्पी दिखाई है। बॉम्बार्डियर, एल्सटॉम, बीईएमएल लिमिटेड, मेधा ग्रुप, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, स्टरलाइट, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर, आईआरसीटीसी, और टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड ने भी रुचि दिखाई है।

स्पैनिश कंपनी सीएएफ समेत कई विदेशी कंपनियों ने भी इसमें इंटरेस्ट दिखाया है। इस तरह आज बुधवार 12 अगस्त को हुई रेलवे की प्री-बिड मीट को बेहद सफल माना जा रहा है। इधर रेल मंत्रालय ने आज निजी कंपनियों के लिये ट्रेनों के डिजाइन से संबंधित दस्तावेज जारी किया। कंपनियों को 109 प्रस्तावित मार्गों पर चलनेवाली ट्रेनों को लेकर इसका पालन करना होगा। इसमें इलैक्ट्रॉनिक स्लाइडिंग दरवाजे, यात्री निगरानी प्रणाली, गंतव्य की हिन्दी, अंग्रजी और क्षेत्रीय भाषाओं में जानकारी, सुरक्षा कांच के साथ खिड़कियां, इमर्जेंसी टॉक-बैक मशीन के साथ अन्य जरूरी मानदंडों को शामिल किया गया है। रेलवे की इस मांग को निजी ऑपरेटरों को पूरा करना होगा। उम्मीद है कि इन ट्रेनों का परिचालन 2023 से शुरू कर दिया जायेगा।
इसमें कहा गया है – इन रेलगाड़ियां से यात्रियों को शोर-मुक्त यात्रा का लाभ मिलेगा। इस तरह की ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम होंगी। ट्रेन को इस तरह से डिजाइन किया जायेगा कि वह सुरक्षित रूप से अधिकतम 180 किलोमीटर की स्पीड से चल पायेगी। ट्रेन का डिजाइन करीब अगले 35 वर्षों के लिये किया जायेगा।
इन रेलगाड़ियों में आपातकालीन ब्रेक लगाये जायेंगे। इन ब्रेक्स की मदद से अगर ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी चल रही होगी तो ब्रेक लगाने पर 1,250 मीटर की दूरी तक जाते जाते रुक जायेगी। यानी इमर्जेंसी ब्रेक लगाने के बाद 160 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही ट्रेन सवा किलोमीटर चलकर रुक जायेगी।

मंत्रालय की तरफ से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने पर सफर का करीब 10-15 प्रतिशत समय बचेगा जबकि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने पर 30 प्रतिशत समय बचेगा। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक शुरुआत में वे 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलायेंगे और बाद में इसे बढ़ाकर मार्च 2024 तक 160 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया जायेगा।

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