New Delhi : UPA-2 के दौरान 2013 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक आर्डिनेंस को फाड़ दिया था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्रीमनमोहन सिंह ने उस समय के योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से पूछा था, क्या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए? हालांकि तब मोंटेक ने उन्हें ऐसा ना करने की सलाह दी.
इसका खुलासा योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे अहलूवालिया ने अपनी किताब ‘बेकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स’ में किया है. मनमोहन सिंह के सवाल पर अहलूवालिया ने उन्हें जवाब दिया कि इस मुद्दे पर इस्तीफा देना सही नहीं है. पीएम मनमोहनसिंह के साथ अहलूवालिया उस वक्त अमेरिका के दौरे पर थे. बता दें कि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद योजना आयोगको भंग कर नीति आयोग का गठन किया था.
अहलूवालिया ने रविवार को अपनी नई किताब ‘बैकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स‘ में दिए तथ्यों का जिक्र करते हुएबताया कि उस समय मनमोहन सिंह सरकार के लाए विवादित अधिनियम को राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके फाड़ डाला था. तबअहलूवालिया ने मनमोहन सिंह से कहा था कि ऐसे समय में उनका इस्तीफा देने ठीक नहीं होगा.
उस समय राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के फैसले को बकवास करार देते हुए अधिनियम के दस्तावेजों की प्रति को मीडिया के सामनेही फाड़ कर फेंक दी थी. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर यूपीए सरकार की ओर से लाया गया था. इसमें दोषी सांसदों परसुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल के लिए सरकार अध्यादेश लेकर आई थी.
मनमोहन सिंह ने अमेरिका से स्वदेश लौटने पर अपने इस्तीफे की अटकलों से साफ इनकार कर दिया था. हालांकि इस पूरे प्रकरण सेवह आहत जरूर थे. अहलूवालिया ने उस दौर को याद करते हुए बताया, ‘मैं उस समय न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल का हिस्साथा, और मेरे भाई संजीव, जो आईएएस पद से रिटायर हो चुके हैं, ने मुझे फोन करके बताया कि उन्होंने एक लेख लिखा है जो पीएम केलिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने मुझे वह लेख ई–मेल किया और पूछा कि यह उन्हें शर्मसार करने वाला तो नहीं है?’
यह लेख अहलूवालिया के भाई का होने के नाते मीडिया में बेहद चर्चा में रहा था. मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने किताब में लिखा, ‘मैंनेपहला काम यह किया कि उस लेख का टेक्सट लेकर मैं पीएम के पास गया. मैं चाहता था कि इसके बारे में सबसे पहले वह मेरे मुंह सेसुनें. उन्होंने उसे शांति से पढ़ा और कोई टिप्पणी नहीं की. फिर यकायक उन्होंने पूछा, क्या वह सोचते हैं कि मैं इस्तीफा दे दूं?’ मोंटेक नेबताया, ‘मेरे विचार से इस मुद्दे पर इस्तीफा देना उपयुक्त नहीं होगा. फिर मैंने यह सोचा कि क्या मैं उनसे वह कह रहा हूं जो वह सुननाचाहते हैं. लेकिन मैं मानता हूं कि मैंने उन्हें सही सलाह दी थी.’