New Delhi : इंडियन क्रिकेट टीम के धाकड़ बल्लेबाज युवराज सिंह की जिंदगी में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। पूरी दुनिया जानती है कि उनको कैंसर था और उन्होंने किस तरह कैंसर को मात दी और एक योद्धा साबित हुए। कैंसर को हराने के बाद वो दोबारा मैदान में आए और चौकों और छक्कों की बरसात की।
बता दें कि युवराज सिंह का जन्म 12 दिसंबर 1981 में चंडीगढ़ में हुआ था, उनके पिता योगराज सिंह भी क्रिकेटर रह चुके हैं। बचपन में उनको क्रिकेट नहीं बल्कि रोलर स्केटिंग पसंद थी और उन्होंने अंडर 14 चैंपियनशिप भी जीती थी। वो क्रिकेट में अपने पिता की वजह से आए थे। साल 1999-2000 में अंडर 19 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे तभी से वो लाइमलाइट में आ गए थे। युवी सबसे स्टाइलिश क्रिकेटर्स में से हैं।
साल 2007 टी-20 विश्व कप में धोनी कप्तान और युवी उप कप्तान थे। इंग्लैंड के खिलाफ मैच में एंड्रियु फ्लिंटॉफ ने युवी से बहस की थी। उसके जवाब में जो युवी ने किया वो मिसाल बन गई। और वो ही नहीं बल्की टी-20 विश्व कप भारत ने जीत लिया। साल 2011 विश्व कप में भी उन्होंने कुल 362 रन बनाए और 15 विकेट निकाले और इसी तरह वो प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बन गए लेकिन ये कोई नहीं जानता था कि वो अंदर ही अंदर बहुत परेशान हैं। और उनके फेफड़ों में ट्यूमर है।
जितना ज्यादा वो खेल रहे थे वो ट्यूमर उतना ही बढ़ रहा था। वो बीमार थे, ब्लीड करते थे, खून की उल्टी करते थे लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और वो लड़े और कैंसर से जीते भी। फिर 2012 टी-20 विश्व कप में उन्होंने सबसे ज्यादा भारत के लिए 8 विकेट लिए थे। उन्होंने कैंसर को महज 4 महीनों में ही हरा दिया था।
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