New Delhi : लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों का कष्टभरा सफर कइयों के लिये आखिरी सफर साबित हो रहा है। बुधवार 27 मई को बनारस में कुछ ऐसा ही हुआ। मुंबई से बनारस के मंडुआडीह पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन में दो प्रवासी मजदूर ट्रेन से उतरे ही नहीं। जब उन्हें उतारने की कोशिश हुई तब पता चला कि वे रहे ही नहीं। इनमें एक आजमगढ़ तो दूसरा जौनपुर का रहने वाला था। कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया है।
छोटे बच्चे को नहीं मालूम कि जिस चादर के साथ वह खेल रहा है वह हमेशा के लिए मौत की गहरी नींद सो चुकी माँ का कफ़न है। 4 दिन ट्रेन में भूखे-प्यासे रहने के कारण इस माँ की मौत हो गयी। ट्रेनों में हुई इन मौतों का ज़िम्मेवार कौन? विपक्ष से कड़े सवाल पूछे जाने चाहिए कि नहीं?? pic.twitter.com/pdiaHuS9vf
— Sanjay Yadav (@sanjuydv) May 27, 2020
बुधवार 27 मई को महाराष्ट्र से 1039 श्रमिकों को लेकर स्पेशल ट्रेन (गाड़ी संख्या 01770) मंडुआडीह स्टेशन पहुंची। ट्रेन के एस-15 और दिव्यांग कोच में सफर कर रहे दो प्रवासी मजदूर चिरनिद्रा में मिले। उनको कोई छूने को तैयार नहीं था। एक मजदूर की पहचान जौनपुर के बदलापुर गांव निवासी 30 वर्षीय दिव्यांग दशरथ के रुप में हुई।
दशरथ के जीजा पन्नालाल ने बताया कि वे 9 परिजन के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। मुंबई से खाना लेकर चले थे। रास्ते में भी हमें खाना मिला था। दशरथ चल नहीं पाता था। प्रयागराज में थोड़ी तबीयत खराब लग रही थी। फिर वह सो गया। काशी पहुंचने के बाद जब उसे उठाया तो वह नहीं उठा। उसे कोई बीमारी नहीं थी। दूसरे मृतक की पहचान आजमगढ़ के रामरतन रघुनाथ के रुप में हुई। जेब से मिले दस्तावेज के अनुसार, उसकी उम्र 63 साल थी।
इधर बिहार से इसी तरह की एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। मामला बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन का है। ढाई साल का बच्चा मां के शव को ढंकने वाली चादर से खेल रहा है। बच्चे को पता ही नहीं कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है। बच्चा इस उम्मीद में है कि मां अभी उठेगी, जरूर उठेगी। महिला 35 साल की अरवीना खातून कटिहार की रहने वाली थी।
महिला अपनी बहन और जीजा के साथ श्रमिक एक्सप्रेस से अहमदाबाद से बिहार आ रही थी। बीते रविवार वह ट्रेन में सवार हुई। खाना और पानी न मिलने के चलते ट्रेन में महिला की स्थिति खराब हो गई। सोमवार को दोपहर करीब 12 बजे महिला की ट्रेन में जान चली गई। ट्रेन मुजफ्फरपुर जंक्शन पर दोपहर के करीब तीन बजे पहुंची। तब रेलवे पुलिस ने महिला का शव ट्रेन से उतारा।
Home Bound Shramik Trains: Watch how Railways is taking special care during train operations to support migrants.
Through social distancing, thermal scanning, distributing food packets & maintaining hygiene, Railways is ensuring a comfortable & safe journey for all. pic.twitter.com/MgQapNj31b
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 27, 2020
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सहयोगी संजय यादव ने यह वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा- यह मासूम नहीं जानता कि जिस चद्दर से वह खेल रहा है, वह उसकी मां का कफन है, जो अब कभी नहीं लौटेगी। ट्रेन में 4 दिन से चल रही इसकी मां की भूख और प्यास से मौत हो गई। ट्रेन में होने वाली इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? क्या विपक्ष यह परेशान करने वाला सवाल नहीं पूछ सकता?