New Delhi : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को तेजी से रोजगार देना शुरू कर दिया है। महज चार दिनों के भीतर करीब 15 लाख नये श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है। यूपी में इस समय 57 लाख से ज्यादा मनरेगा मजदूर काम कर रहे हैं। इन आंकड़ों ने यूपी को देश का पहला राज्य बना दिया है, जहां मनरेगा के तहत एक दिन में 57 लाख मजदूर काम पर लगे हैं। दूसरी ओर अधिकांश प्रवासी श्रमिकों के लौट आने के बाद प्रदेश में कोरोना का प्रकोप भी अब कम होता जा रहा है।
मनरेगा के तहत प्रदेश में 57 लाख 12 हजार श्रमिकों को कार्य मिला जो, वर्तमान में देश में सर्वाधिक है।
सभी औद्योगिक इकाइयों का सर्वे कराते हुए इन इकाइयों में रोजगार की आवश्यकता का आंकलन किया जाए: मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी pic.twitter.com/7lhftcnSTQ— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) June 15, 2020
मनरेगा में दूसरे नंबर पर राजस्थान है। राजस्थान में 53 लाख मजदूर मनरेगा के तहत रोजगार से जुड़े हैं। 4 दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीटिंग के दौरान ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मनरेगा के तहत अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जाये। इस मीटिंग के ग्राम्य विकास विभाग ने तय किया कि सीएम योगी द्वारा सोमवार 15 जून से घोषित रोजगार पखवाड़े के दिन तक 15 लाख नए मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दे दिया जायेगा।
उस दिन मनरेगा के तहत राज्य में 42 लाख श्रमिक काम पर लगे थे। मीटिंग के बाद 12 जून को मनरेगा के तहत राज्य में 112021 श्रमिक, 13 जून को 335385 श्रमिक, 14 जून को 441094 श्रमिक और 15 जून को 609686 नये श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार से जोड़ा गया। इन चार दिनों में ही ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों ने 14 लाख 98 हजार 186 नए मजदूरों को काम देने में सफलता हासिल की।
ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह का कहना है – मनरेगा के तहत अभी और बड़ी तादाद में मजदूरों को काम दिया जाएगा। प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा से रोजगार देने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। जानकारी के अनुसार, देश में सोमवार को मनरेगा के तहत काम में लगे श्रमिकों में से 18 फीसदी श्रमिक यूपी में काम पर लगे थे। दूसरे नंबर पर 17 फीसदी मजदूरों के साथ राजस्थान रहा।
12 फीसदी श्रमिकों के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर तथा राष्ट्रीय टोटल का 8-8 फीसदी श्रमिक काम पर लगाकर पश्चिमी बंगाल और मध्यप्रदेश संयुक्त रूप से चौथे नंबर पर थे। राष्ट्रीय औसत का छह फीसदी मजदूर बिहार में काम पर लगे थे। इधर उत्तर प्रदेश में अप्रैल के मध्य से तकरीबन 30 लाख श्रमिक वापस लौटे हैं। इसके बाद पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी। वापसी के बाद कुल श्रमिकों के आधे श्रमिकों की स्क्रीनिंग की गई थी। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग का डाटा दिखाता है कि जून के पहले सप्ताह में औसतन 412 कोरोना के नए मामले सामने आए। दूसरे सप्ताह में यह घटकर 356 मामले रोजाना हो गए।
मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी ने एन.सी.आर. क्षेत्र के जनपदों के कोविड अस्पतालों में बेड तथा चिकित्साकर्मियों की संख्या में वृद्धि करने के निर्देश भी दिए हैं।उन्होंने कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुचारु उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस संबंध में बैक-अप भी तैयार रखा जाए। pic.twitter.com/BW3uRegqxg
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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव, अमित मोहन प्रसाद ने कहा – शनिवार और रविवार को 500 से अधिक मामले सामने आए क्योंकि टेस्टिंग रिपोर्ट लंबित थी।’ उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों ने 16 लाख प्रवासियों की जांच की थी, जो 14 जून तक होम क्वारंटाइन थे और उनमें से केवल 1,455 लोगों में बीमारी के लक्षण थे।