New Delhi : लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेश और अलग अलग जिलों में फंसे लोग रेलवे ट्रैक का सहारा लेकर पैदल ही अपने घरों की ओर बढ चले हैं। 15 दिन पूर्व रेलवे ट्रैक के किनारे से आ रहे विभन्नि जिलों के एक दर्जन लोगों को इटावा में आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। इन लोगों को रविवार को रोडवेज बसों से उनके घर के लिए रवाना कर दिया गया। लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही ट्रैक के किनारे पैदल जा रहे इन लोगों को प्रशासन ने कस्बे में ही 14 दिनों के लिए रोक लिया था।
यह लोग बलिया, गाजीपुर, देवरिया के लिए ट्रैक किनारे होते हुए अपने घर जा रहे थे। जानकारी होने पर इन लोगों को विशाल सिंह इण्टर कॉलेज में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में ठहराया गया। इसके साथ ही इन सभी का स्वास्थ्य परीक्षण भी इस दौरान कराय गया, जिसमें सभी स्वस्थ्य पाए गए। रविवार को सभी 12 लोगों को रोडवेज बसों से 5-5 किलो आटा, चावल व 1-1 किलो सरसों का तेल, नमक, आलू व मसाले देकर रवाना किया गया।
इधर उत्तर प्रदेश सरकार दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों को यूपी आने पर 15 दिन का मुफ्त राशन देने के साथ 1000-1000 रुपये की आर्थिक मदद भी करेगी। आश्रय स्थलों में रहने वालों का वहीं पर पंजीकरण करने के बाद यह पैसा सीधे उनके खाते में दिया जाएगा। गैर राज्यों में फंसे करीब 10 लाख मजदूरों को यूपी लाने और उन्हें क्वारंटीन करने के संबंध में अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने शासनादेश जारी कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के बड़ी संख्या में शीघ्र ही प्रदेश में वापस आने की संभावना को ध्यान में रखते हुए यह तैयारी की जाएगी। इनको 14 दिनों तक क्वारंटीन करने के लिए अस्थाई आश्रय स्थल बनाने, भोजन व अन्य इंतजाम डीएम कराएंगे। क्वारंटीन कैंपों में रहने वालों के खाते में पैसे भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में न्यूनतम 15000 प्रवासी श्रमिकों के रखने की व्यवस्था होगी। पूर्वी यूपी के कुछ ऐसे जिले हैं जहां से काफी संख्या में लोग अन्य प्रदेशों में काम कर रहे हैं। इसलिए इन जिलों में और अधिक लोगों के रखने की व्यवस्था होगी।
रेणुका कुमार ने कहा है कि प्रदेश के बाहर रह रहे प्रवासी श्रमिकों व व्यक्तियों की बड़ी संख्या में शीघ्र ही प्रदेश में वापस आने की संभावना को ध्यान में रखते हुए यह तैयारी की जाएगी। इनको 14 दिनों तक क्वारंटीन करने के लिए अस्थाई आश्रय स्थल बनाने, खाने और अन्य जरूरी इंतजाम डीएम कराएंगे।
यह ध्यान रखा जाएगा कि क्वारंटीन में रखे गए मजदूर भागने न पाए। लाउडस्पीकर से उन्हें यह समझाया जाएगा कि वे 14 दिन से पहले यहां न अगर जाते हैं तो अन्य लोगों को खतरे में डालेंगे। इसके संचालन के लिए जिले के वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। जहां अधिक प्रावासी श्रमिक व बेघर रह रहे हैं वहां कम्युनिटी किचन की व्यवस्था पास में ही की जायेगी।