New Delhi : जब-जब कारगिल की बात होती है जांबाज विक्रम बत्रा का नाम जरूर आता है। कारगिल वॉर के दौरान बत्रा को शेरशाह का कोड नाम दिया गया था। कारगिल युद्ध में उन्होंने जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 13 वीं बटालियन का नेतृत्व किया। 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने कारगिल की प्वाइंट 5140 से दुश्मनों को खदेड़ने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर अपने मिशन में कामयाब हो गए।
#21YearsofKargil#MushkohDay,when most conspicuous bravery of Capt #VikramBatra, PVC(P) & Rfn Sanjay Kumar, PVC in face of enemy facilitated capture of Pt 4875 by 13 JAK RIF; both awarded #PVC,a rare & distinct first in #IndianArmy history.@adgpi
Tribute "#IAmBack"- @MajorAkhill pic.twitter.com/w3vvyIJ73w— NorthernComd.IA (@NorthernComd_IA) July 7, 2020
जनरल वीपी मलिक ने अपनी किताब ‘कारगिल: फ्रॉम सरप्राइज टू विक्ट्री’ में कैप्टन बत्रा का जिक्र है। विक्रम ने हैंड-टू-हैंड फाइट में चार पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और प्वाइंट 5140 पर कब्जा किया। इसके बाद रेडियो पर जीत का कोड बोला- यह दिल मांगे मोर…।
प्वाइंट 5140 के बाद आर्मी ने प्वाइंट 4875 को भी कब्जे में लेने का मिशन शुरू कर दिया। कैप्टन बत्रा को इसकी जिम्मेदारी दी गई। जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैय्यर के साथ कैप्टन बत्रा ने 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।
7 जुलाई 1999 को मिशन पूरा होने ही वाला था कि उनके जूनियर ऑफिसर लेफ्टिनेंट नवीन के पास एक विस्फोट हुआ। इसमें नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। कैप्टन बत्रा नवीन को बचाने के लिए पीछे घसीटने लगे, तभी उनकी छाती में गोली लगी और 7 जुलाई 1999 को भारत का यह शेर शहीद हो गया।
कारगिल युद्ध की सबसे मुश्किल चुनौतियों में शुमार प्वाइंट 4875 पर मोर्चा संभालना लोहे के चने चबाने जैसा था। ऊपर चढ़ने की संकरी जगह और ठीक सामने दुश्मन का ऐसी पोजीशन पर होना जहां से आसानी से वो आपको अपना निशाना बना सकता था। इन सब मुश्किलों के बाद भी विक्रम बत्रा के कदमों को दुश्मन रोक न सके।
Vikram Batra means Courage.
Vikram Batra means daring.
Vikram Batra means inspiration.
Vikram Batra means "Ye Dil Maange More.."
Remembering the Lion of India & Hero of the Kargil War
Captain #vikrambatra on his martyrdom day. pic.twitter.com/FA5axuuqxk— Y. Satya Kumar (@satyakumar_y) July 7, 2020
बिजली की गति से दुश्मन के मोर्चे पर धावा बोलकर कैप्टन विक्रम बत्रा ने पहले हैंड टू हैंड फाइट की और उसके बाद प्वाइंट ब्लैक रेंज से दुश्मन के पांच सैनिकों की जान ले ली। गहरे जख्म होने पर भी बत्रा यहीं नहीं रुके। वो घिसटते हुये दुश्मन के करीब तक पहुंचे और ग्रेनेड फेंकते हुये पोजीशन को क्लियर कर दिया।
टीम का नेतृत्व कर रहे विक्रम बत्रा ने अपनी टीम में पूरी ताकत के साथ लड़ने का जुनून भर दिया। जब जख्मी विक्रम बत्रा को उनके सूबेदार ने रेस्क्यू करने की कोशिश की तो वो बोले तू बाल बच्चेदार है, हट जा पीछे। इसके बाद विक्रम बत्रा शहीद हो गये। बाद में उनकी टीम ने प्वाइंट 4875 को वापस कब्जाने का लक्ष्य हासिल किया।
जब भी कारगिल के दौरान कोई मिशन सफल होता था तो कैप्टन विक्रम बत्रा जोर से बोलते थे – ‘ये दिल मांगे मोर’ और अगले ऑपरेशन की तरफ चल पड़ते थे। हर मुश्किल घड़ी में कैप्टन विक्रम बत्रा के मुंह से मुश्किलों को चुनौती देने के लिए एक ही शब्द निकलता था ‘ये दिल मांगे मोर’।
21 years ago I met the extraordinary #VikramBatra, Code name, Sher Shah, the swashbuckling soldier who was one of the first interviews I did at the #Kargil frontline and would be the first obituary tribute I'd write as well. It feels like yesterday to me. I can hear his laugh 1/n pic.twitter.com/TPUzSv1oeZ
— barkha dutt (@BDUTT) July 7, 2020
कैप्टन विक्रम बत्रा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था – पाकिस्तानी घुसपैठिये और हम एक ही फ्रीक्वेंसी पर थे और उन्होंने हमें चुनौती दी।
‘शेरशाह ऊपर मत आना…’ यह सुनकर मेरे सैनिक गुस्से में आ गये। उन्होंने कहा हमें धमकाने की हिम्मत कैसे हुई, हम उनको ठीक कर देंगे। ‘दुर्गा माता की जय’ बोलकर अपनी पलटन के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा टूट पड़े। अपनी बंदूक से पांच पाक सैनिकों को ढेर कर दिया।
कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़ा एक वाकया है। एक पाकिस्तानी घुसपैठिया युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा को बोला- हमें माधुरी दीक्षित दे दो, हम नरमदिल हो जायेंगे। इस बात पर कैप्टन विक्रम बत्रा मुस्कुराये और इसका जवाब अपनी एके-47 से दिया और बोले- लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ और कई पाकिस्तानी सैनिकों ने जान गंवाई।