New Delhi : गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत शुक्रवार को पुराने फार्म में लौटे और क्लिनिक में बैठकर मरीजों को देखने लगे। उन्होंने कोरोना से लड़ रहे डाक्टरों से बात की और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर मरीजों को देखने लगे और दवाईयां भी प्रिस्क्राइब की। राजनीति में सक्रिय होने से पहले डाक्टर प्रमोद सावंत आयुर्वेदिक प्रैक्टसनर थे। उन्होंने जब स्टेथेस्कोप पकड़ा तो लोग वाह करने से नहीं चूके। उनकी खूब तारीफ हो रही है। आखिर उन्होंने पूरा दिन कोरोना वायरस महामारी के बीच फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए मरीजों को देखा और दवा लिखी।
सावंत ने कहा – आज मेरा जन्मदिन है, लेकिन मैंने फैसला किया कि इसका जश्न नहीं मनाऊंगा। मैं मुख्यमंत्री हूं, लेकिन पेशे से मैं एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हूं। हेल्थ स्टाफ और फ्रंटलाइन वॉरियर्स के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मैंने आधा दिन असिलो अस्पताल में बिताने का फैसला किया। मैं आयुर्वेदिक ओपीडी में बैठा और डॉक्टर समीर से कहा कि आज मैं सभी मरीजों को देखूंगा। 2008 के बाद पहली बार ऐसा करके मुझे अच्छा लगा।
राजनीति में सक्रिय होने से पहले सावंत उत्तरी गोवा के असिलो अस्पताल में डॉक्टर थे। वह 2012 में पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे। वह मनोहर पर्रिकर के देहांत के बाद 19 मार्च 2019 को गोवा के मुख्यमंत्री बने। उन्हें राजनीति में लाने वाले मनोहर पर्रिकर भी अक्सर अपनी सादगी के लिए सुर्खियों में रहते थे। सावंत ने कहा – यदि कोई 24 घंटे और सातों दिन लड़ रहा है तो वहे हैं स्वास्थ्य कर्मी और इसलिए मैंने अपना जन्मदिन कोरोना वॉरियर्स के नाम समर्पित करने का फैसला किया। संदेश यह जाए कि केवल नेता नहीं पूरा देश उनके पीछे खड़ा है। सावंत ने उस अध्यादेश का भी स्वागत किया जिसके तहत डॉक्टर्स पर हमला करने वालों को सात साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। गोवा पहला ऐसा राज्य है जो कोरोना केसों की संख्या शून्य पर ला चुका है। यहां मिले सभी 7 मरीज ठीक हो चुके हैं। अब यहां एक भी कोरोना का एक्टिव केस नहीं है।