New Delhi : लद्दाख में चीन के सैन्य अतिक्रमण के बाद जो हालात बने हैं उसको लेकर दुनिया के तमाम बड़े देश बेहद चिंतित हैं, लेकिन यह भी साफ दिख रहा है कि ये देश इस माहौल के लिए चीन को ही दोषी ठहरा रहे हैं। विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला ने चीन के साथ उपजी स्थिति पर अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी और जापान के भारतीय राजदूतों को ब्रीफिंग दी है और सूत्रों के मुताबिक सभी देश भारत के पक्ष को समझ रहे हैं व सहानुभूति रखते हैं।
Japan on Friday backed India in its border standoff with China. Here’s the position adopted by key players in the world community:https://t.co/G3YD2esfe0
— Hindustan Times (@htTweets) July 3, 2020
जापान ने शुक्रवार को उम्मीद जताई- भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों के बीच शांतिपूर्ण समझौता हो जायेगा। जापान ने कहा- भारत और चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति में बदलाव के लिये किये जाने वाले किसी भी तरह के प्रयास का जापान विरोध करता है। और ऐसा साफ दिख रहा है कि एलएसी पर एकतरफा प्रयास हो रहे हैं जो अनुचित है।
पिछले माह गलवन घाटी घटना के बारे में विस्तार से बताते हुये नई दिल्ली ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात को लेकर जापान को पूरी जानकारी दी है। भारत ने कहा – चीनी सैनिक सीमा पर मौजूदा हालातों में एकतरफा बदलाव के प्रयासों के तहत हमला कर रहे हैं।
जापान के राजदूत सातोषी सुजुकी ( Satoshi Suzuki) ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा- विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला से अच्छी बातचीत हुई। एलएसी पर जारी हालात के बारे में उन्होंने जो ब्रीफिंग दी वह सराहनीय है साथ ही भारत सरकार द्वारा शांति समझौते के लिए अपनाई गई नीति भी बेहतर है। जापान भी उम्मीद करता है कि वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण समाधान मिलेगा। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि यथास्थिति में बदलाव के लिए एकतरफा प्रयासों की भी जापान निंदा करता है।
LAC पर मई माह से ही तनाव जारी है। चीन और भारतीय सेना आपस में कई बार भिड़ चुके हैं। दोनों देशों के बीच यह तनाव पिछले माह 15 जून को उस वक्त बढ़ गई जब गलवान में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये। हालांकि इस झड़प में चीन की ओर भी 43 जवान घायल हुए थे। इस तनाव को कम करने के लिए पिछले माह से अब तक दोनों देशों के बीच तीन बार बैठक हो चुकी है।
#Japan backs India on LAC situation, opposes change in status quo by #China#ShinzoAbe #Ladakh #Galwanhttps://t.co/UjGaYCEtCA
— World News Network (@worldnewsdotcom) July 3, 2020
बता दें कि चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर विवाद है। दोनों देशों की ओर से इन द्वीपों पर दावा किया जाता रहा है। हालांकि ये द्वीप 1972 से जापान के हाथ में है।
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ के अलावा तमाम अमेरिकी राजनीतिज्ञ चीन को अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। फ्रांस की रक्षा मंत्री ने भारतीय रक्षा मंत्री को पत्र लिख कर गलवन घटना पर दुख का इजहार किया था और रणनीतिक रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने के लिए जल्द से जल्द भारत का दौरा करने की बात कही थी।