जिद से जीत- जानिये जुझारू युवा की कहानी जो पुराने न्यूजपेपर व रेडियो सुन-सुन कर बन गया IAS

New Delhi : राजस्थान के बेहद शांत अफसरों में शुमार IAS Jogaram की जीवनी प्रेरणादायक है। संघर्ष की मिसाल और बुलंद हौसलों की ऊँची उड़ान है। मुश्किल हालात में भी जोश और जुनून के बूते इंसान कामयाबी की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ सकता है।
राजस्थान के सरहदी इलाके बाड़मेर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर गंगाला ग्राम पंचायत में 17 जनवरी 1981 को अर्जुनराम जांगिड़ की पहली संतान के रूप में जोगाराम का जन्म हुआ। जोगाराम जांगिड़ की दिलचस्पी फर्नीचर के पुस्तैनी काम की बजाय किताबों में थी। नतीजा यह रहा कि बेहद पिछड़े इलाके गंगाला के जोगाराम ने IAS तक का सफर तय कर लिया।

जोगाराम ने गांव गंगाला और बाड़मेर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1999 में जोगाराम की सबसे पहले ग्राम सेवक के रूप में सरकारी नौकरी लगी। पोस्टिंग अपनी ही पंचायत समिति की सेतरउ गांव में मिली। ग्राम सेवक बनने के बाद भी जोगाराम ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और कॉलेज की पढ़ाई स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की। बाड़मेर जिले में करीब पांच साल ग्राम सेवक रहने के दौरान जोगाराम ने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। खास बात है कि जोगाराम ने कोई कोचिंग नहीं की। बाड़मेर में ही रहकर किताबों, पुस्तकालय, अखबारों और रेडियो पर बीबीसी सुनकर तैयारी की। वर्ष 2005 में 62वीं रैंक पर इनका आईएएस में चयन हुआ।
जोगाराम पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। दो छोटे भाई व दो बहन हैं। छोटा भाई शंकर जांगिड़ का 2013 में आईआरएस में चयन हुआ। मझले भाई नाथूराम गांव के सरपंच हैं। वर्ष 2001 में बाड़मेर की चौहटन पंचायत समिति के गांव घोनिया की मोहरी देवी से जोगाराम की शादी हुई।

जोगाराम वर्ष 2005 में बाड़मेर जिले से आईएएस बनने वाले दूसरे शख्स हैं। इनसे पहले बाड़मेर से ललित पंवार आईएएस बने। उस समय गांव गंगाला के कई लोगों को तो पता तक नहीं था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी आईएएस होता क्या है। तब कई लोग तो यही समझते थे कि जोगाराम का ग्राम सेवक पद से अफसर के पद पर प्रमोशन हुआ है।
आईएएस बनने के बाद भी जोगाराम का अपनी जड़ों से गहरा जुड़ाव है। घर-परिवार में शादी-विवाह के साथ-साथ जागरण तक के कार्यक्रम में जोगाराम शिकरत करते हैं। जोगाराम का गांव गंगाला बेहद पिछड़ा हुआ है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इनके भाई नाथूराम के सरपंच बनने के बाद वर्ष 2017 में गांव गंगाला में मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंची। जिस समय जोगाराम प्रतियो​गी परीक्षाओं की तैयारी करते थे।

तब इनके गांव में अखबार दो दिन बाद और रोजगार समाचार सात दिन बाद पहुंचा करते थे। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से 60 किलोमीटर दूर बसे गांव गंगाला में तब एक ही बस चला करती थी, जो सिर्फ बाड़मेर तक आती-जाती थी। वर्ष 2001 में जोगाराम की शादी में कोई फोटोग्राफी नहीं हुई थी। गांव में शादियों में फोटोग्राफी का माहौल ही नहीं था।

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