जब शाहरूख खान को सरोज खान ने मार दिया थप्पड़ और नसीहत दी- कभी ऐसा मत करना

ew Delhi : सरोज खान ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर के दौरान बॉलीवुड के सभी नामचीन सितारों को कोरियोग्राफ किया है। सरोज खान ने एक बार शाहरुख खान को थप्पड़ मार दिया था। शाहरुख खान ने इस बात का खुलासा अपने एक इंटरव्यू में किया था। हालांकि, मास्टर जी (सरोज खान ) ने शाहरुख को प्यार से मारा था और उन्हें सलाह भी दी थी।
शाहरुख खान ने बताया था- मैं अपने शुरुआती दिनों में मास्टर जी के साथ काम कर रहा था और मैं उस समय करीब तीन शिफ्ट में काम किया करता था। एक बार मैंने उनसे कह दिया कि मैं इतने अधिक काम से थक चुका हूं। इसके जवाब में सरोज जी ने मेरे गाल पर प्यार से थप्पड़ मारा और कहा कि मुझे कभी ऐसा नहीं कहना चाहिए कि मेरे पास बहुत सारे काम है।

सरोज खान को सांस लेन में शिकायत के बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार देर रात 1.52 बजे कार्डियक अरेस्ट की वजह से उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।
सरोज को शुक्रवार सुबह मलाड के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। सरोज को अंतिम विदाई देने के लिए उनके परिवारवाले और कुछ रिश्तेदार ही मौजूद थे। 40 साल से ज्यादा समय के अपने करियर में उन्होंने दो हजार से ज्यादा गानों और सैकड़ों स्टार्स को कोरियोग्राफ किया। श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मीनाक्षी शेषाद्री, ऐश्वर्या राय समेत कई एक्ट्रेसेस उनके निर्देशन में थिरकती नजर आईं और इन स्टार्स की सफलता का बड़ा क्रेडिट सरोज खान को भी जाता है। बॉलीवुड स्टार्स उन्हें प्यार से मास्टरजी कहकर बुलाते थे।

सरोज खान का जन्म 22 नवंबर 1948 को किशनचंद संधू सिंह और नोनी संधू सिंह के घर पर हुआ था। उनका असली नाम निर्मला था, उनके जन्म के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था। सरोज खान ने तीन साल की उम्र में फिल्म ‘नजराना’ में बाल कलाकार के रूप में काम शुरू किया था। इस फिल्म में वे श्यामा के रूप में नजर आई थीं। जब सरोज 13 साल की हुईं तो प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक और कोरियोग्राफर सोहनलाल की असिस्टेंट बन गईं। जिनके साथ रहकर सरोज ने अपनी कला को और निखारा।

सोहनलाल के साथ काम करते हुए सरोज उन्हें दिल दे बैठीं, और फिर दोनों ने शादी कर ली। उस वक्त सरोज की उम्र सिर्फ 13 साल थी, जबकि सोहनलाल 41 साल के थे और पहले से शादीशुदा होने के साथ ही 4 बच्चों के पिता भी थे। इसके सालभर बाद ही सरोज मां भी बन गईं।
50 के दशक में सरोज ने बैकग्राउंड डांसर के रूप में नई पारी की शुरुआत की। उधर पति से हुए विवाद के बाद 1965 में वे उनसे अलग हो गईं, हालांकि पति को आए हार्ट अटैक के बाद ये दोनों फिर एक हो गए। सोहनलाल कुछ वक्त बाद सरोज और उनके दो बच्चों को छोड़कर मद्रास (चेन्नई) चले गए थे, जिसके बाद उन्होंने सरदार रोशन खान से शादी कर ली थी। एक इंटरव्यू में सरोज ने बताया था – उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कुबूल किया था।

कुछ सालों तक बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करने के बाद सरोज असिस्टेंट डायरेक्टर बनीं और 1974 में आई फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ से उन्हें बतौर स्वतंत्र कोरियोग्राफर पहला ब्रेक मिला था। उस फिल्म में हेमामालिनी लीड रोल में थीं। अपने करियर में सरोज ने करीब 2 हजार से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया, जिसके चलते कोरियोग्राफी के मामले में उन्हें ‘मदर ऑफ डांस’ भी कहा जाता है।

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