New Delhi : ‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया जो पुलिस और कानून को अपनी बगल में दबाकर चलते हैं। एक भौकाली और गहन गंभीर कालीन भैया दरअसल रीयल लाइफ में भी जेल की हवा खा चुके हैं। और ये जेल उन्हें चोरी-चकारी में नहीं हुई थी, उन्हें जेल की हवा बिहार सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण खिलाई गई थी। उनका कहना है कि जेल जाने के बाद ही उन्हें समझ में आया कि उन्हें करना क्या है। यहां उन्हें कई सबक और सीख मिली। अपने कॉलेज के दिनों में जब वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य थे और छात्र राजनीति में सक्रिय रहते थे तब उनकी जिंदगी में जेल की रातें आईं। वो सात दिनों के लिये जेल में रहे थे।
Happy Birthday @TripathiiPankaj, Can't wait for mirzapur 2 ..in true sense you are the pride of Bihar..💪#pankajtripathi pic.twitter.com/SpzsO1et8i
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Happy birthday to you sir
Many many happy returns of the day@Pankajtripathi sir pic.twitter.com/C4eF1AoMYM— जय BABA भोले नाथ (@Raj42450091) September 5, 2020
आज सबके चहेते कालीन भैया को लेकर हम आपको बता रहे हैं उनके जीवन संघर्ष से जुड़े किस्से। साल 1993 की बात है बिहार में कांग्रेस-आरजेडी की गठबंधन वाली सरकार थी। उस समय पंकज अपने गांव से दूर पटना में आकर पढ़ाई कर रहे थे। ये उनके कॉलेज के दिन थे और वो राजनीतिक गतिविधियों में ज्यादा रुचि रखते थे। इन दिनों ही मधुबनी में दो स्टूडेंट्स की जान चली गई। इसके विरोध में बिहार के कई स्थानों पर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। एक छात्र संगठन ने पटना में विधानसभा के आगे इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया।
इसी संगठन में पंकज भी शामिल थे। पुलिस ने सभी छात्रों को पकड़कर जेल में डाल दिया था। जिस किसान परिवार के मां-बाप ने अपने बेटे को पटना डा. बनने के लिये भेजा था वो सात दिनों तक जेल में रहा और घरवालों को पता भी नहीं लगा। वो कहते हैं कि मां-बाप चाहते थे कि मैं डाक्टर बनूं इसलिए मुझे पटना पढ़ने के लिये भेजा गया था। डाक्टर की भारी भरकम पढ़ाई से ज्यादा यहां उन्हें बाहरी माहौल को समझने में मजा आ रहा था। वो नेता नगरी में जाने के सपने देखने लगे थे। लेकिन जब वो जेल गए तो उनकी जिंदगी बदल गई।
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— નિમિત ઉગાણી🇮🇳 ( जय श्री राम ) (@NimitUgani) September 5, 2020
वो बताते हैं कि यहां उन्हें तरह तरह के लोग मिले। जेल के सात दिनों के दौरान उन्होंने लाइब्रेरी से बहुत किताबें पढ़ी और जेल की जिंदगी को करीब से देखा। घूमने फिरने वाले पंकज जब इतनें दिनों तक कैद रहे तो वो इस जिंदगी से ऊब गए। जेल से छूटने के बाद थियेटर जाने का प्लान बना वो बताते हैं कि तब उन्होंने लक्षमण नारायण राय का प्ले ‘अंधा कुआं देखा था। पंकज बताते हैं कि इस नाटक को देखने के बाद वो रो दिए थे। इस नाटक और कलाकारों ने उनके जीवन में इतनी गहरी छाप छोड़ी कि उन्होंने थियेटर करने और इसी लाइन में करियर बनाने के बारे में सोच लिया।
पंकज को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने दो बार रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन अपने तीसरे प्रयास में, उन्होंने प्रतिष्ठित संस्थान में जगह बनाई। जब उन्हें चुना गया, तब तक वह लगभग 35 नाटकों में अभिनय कर चुके थे। एनएसडी में अपने चयन को याद करते हुए, वे कहते हैं, “मुझे एक जुलाई दोपहर को मेरी टिन की छत पर गिरने वाली बारिश याद है। जब मैं अपने कमरे में बैठा था, तो बारिश में खिड़की से बाहर देखते हुए एक डाकिया रेनकोट लेकर पहुंचा। वह मेरे पास एक सफेद लिफाफा लेकर आया था। जिसपर एनएसडी का लोगो था। मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस बार एनएसडी के माध्यम से मिला था। मैं रोने लगा। ”
Pankaj Tripathi makes more sense than entire BJP ecosystem. ❤❤
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Meet, national award winner, Actor Pankaj Tripathi at Jashn-e-Adab, Sahityitsav poetry festival 2018 at IGNCA, New Delhi on 23rd, 24th & 25th November 2018.
Entry Free, Register at https://t.co/kgYFkYLx9q@TripathiiPankaj pic.twitter.com/U9IcbDd73u— Jashn-e-Adab (@jashneadab) November 9, 2018
वह कहते हैं, “यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मैं चयनित होने वाले पूरे देश के 20 छात्रों में से था। ” इसके बाद भी संघर्ष खत्म नहीं हुए लेकिन अपनी एक्टिंग और डायलोग डिलिवरी के अनोखे अंदाज के दम पर पंकज ने न सिर्फ बॉलिवुड में जगह बनाई बल्कि एक नए तरह के किरदार और एक नई तरह की एक्टिंग को उन्होंने बॉलीवु़ड में स्थापित भी किया।