New Delhi : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता होने के साथ ही प्रखर वक्ता भी थे। उनके दिए गए भाषणों का विपक्ष भी कायल था और हर कोई उनके भाषण को सुनना पसंद करता है। उनके कई ऐसे भाषण हैं, जिन्हें आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं। उसमें एक सबसे प्रमुख है साल 1977 में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया गया वाजपेयी का भाषण। साल 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री थे और वो दो साल तक मंत्री रहे थे।
On this day, we remember and pay tributes to former Prime Minister and statesman Late Shri Atal Bihari Vajpayee who took the UN by storm in 1977 with his speech in Hindi at the General Assembly. #AtalBihariVajpayee @MEAIndia @IndianDiplomacy pic.twitter.com/oqbU71R5Dk
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) August 16, 2020
Jai Jagat – Glory be to the world.
Some of the many memories of Shri Atal Bihari Vajpayee’s interventions @UN pic.twitter.com/XcOP5ZAR0a
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) August 18, 2018
उस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था, जो उनके यादगार भाषणों में से एक है। यह भाषण बेहद लोकप्रिय हुआ और पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी।
कहा जाता है कि यह पहला मौका था जब यूएन जैसे बड़े अतंराष्ट्रीय मंच पर भारत की गूंज सुनने को मिली थी। अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण यूएन में आए सभी प्रतिनिधियों को इतना पसंद आया कि उन्होंने खड़े होकर अटल जी के लिए तालियां बजाई। इस दौरान उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देते हुए अपने भाषण में उन्होंने मूलभूत मानव अधिकारों के साथ-साथ रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र किया था। उसके बाद भी उन्होंने विदेशी मंचों पर कई भाषण दिए जो काफी लोकप्रिय हुए।
Remembering Atal Bihari Vajpayee on his 2nd death anniversary.
The most accepted leader of modern India, first Indian leader who delivered his speech in Hindi UN ,who can forget his famous lines.
"सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, मगर ये देश चलता रहना चहिये" pic.twitter.com/MkrZmWUGVC
— Diksha Sharma (@Diksh_aS) August 15, 2020
इस दौरान उन्होंने भाषण में कहा था, ‘मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।’ वाजपेयी अपने भाषणों में कविताओं का सहारा लेते हुए प्रखर वाणी में भाषण देते थे, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। उन्होंने भारतीय संसद में भी कई ऐसे भाषण दिए हैं, जिनकी विरोधियों ने भी तारीफ की।