It is unfortunate that #JyotiradityaScindia has been pushed to the corner by his own leaders with damaging results for the Congress Party. This is a huge blow to the party that will have strong ripple effects down to the grassroot level.
— Vikramaditya Singh (@vikramaditya_JK) March 10, 2020
New Delhi : मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता Jyotiraditya Scindia के कांग्रेस छोड़ने का असर आने वाले दिनों में जम्मू–कश्मीर के डोगराशाही परिवार के राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है. Jyotiraditya Scindia के फैसले के बाद उनके बहनोई और कांग्रेस नेताVikramaditya Singh को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगना अभी से शुरू हो गई हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता Dr. Karm singh के बड़ेपुत्र Vikramaditya Jyotiraditya Scindia के बहनोई हैं. Jyotiraditya Scindia के कांग्रेस छोड़ने के बाद जिस ढंग से उनके बहनोई नेट्वीट किए हैं, उससे कई तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने को लेकर विक्रमादित्य सिंह ने दो ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण हैकि अपने नेताओं ने ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर दिया जिसका कांग्रेस को बहुत नुकसान होगा. यह पार्टी के लिए बड़ीक्षति है जिसका असर जमीनी स्तर पर देखा जाएगा. विक्रमादित्य सिंह ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, कांग्रेस ने अपने एक महान औरऊर्जावान नेता को खो दिया. यह दुख की बात है कि उनकी (सिंधिया) तरह एक समर्पित और कद्दावर नेता को दरकिनार किया गयाजबकि उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए था. पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
Congress has lost one of its tallest and dynamic youth leaders. It is sad that a dedicated and impactful leader like him was sidelined rather than being rewarded for his immense contribution. Party will have to pay a heavy price. #JyotiradityaScindia https://t.co/5UtNNYt9q7
— Vikramaditya Singh (@vikramaditya_JK) March 10, 2020
जम्मू–कश्मीर की राजनीति देखें तो कभी काफी सशक्त रहा डोगरा शाही परिवार आज अपने सियासी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इसी परिवार से डॉ. कर्ण सिंह आते हैं जिनके पिता महाराजा हरि सिंह थे. विक्रमादित्य सिंह और अजातशत्रु सिंह महाराजा हरि सिंह केपौत्र हैं. विक्रमादित्य सिंह फिलहाल कांग्रेस में हैं और अजातशत्रु सिंह बीजेपी में. विक्रमादित्य सिंह ने 2014 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) से जुड़कर राजनीति की शुरुआत की लेकिन 2017 में वे पीडीपी से अलग हो गए और 2018 में कांग्रेस से जुड़ गए. दूसरी ओरअजातशत्रु सिंह 1995 में कांग्रेस से जुड़े और अपनी राजनीति की शुरुआत की लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी औरनेशनल कांफ्रेस में शामिल हो गए. बीच में फिर कुछ दिनों के लिए कांग्रेस में आए मगर दोबारा नेशनल कांफ्रेस में चले गए. 2014 मेंउन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया.
पूर्व में विक्रमादित्य सिंह केंद्र की PM Modi का समर्थन कर चुके हैं. जम्मू–कश्मीर विधान परिषद के पूर्व सदस्य विक्रमादित्य सिंह नेअनुच्छेद-370 को निरस्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के सरकार के फैसले पर अपने एक बयान में कहा था, “मैं इसकदम का पूरी तरह से समर्थन करता हूं.” उन्होंने कहा था कि इस फैसले के बाद राज्य की महिलाओं और अल्पसंख्यकों को भारत केसंविधान के तहत समान दर्जा मिलेगा. इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी के सदस्य विक्रमादित्य सिंह ने जम्मू–कश्मीर के लोगों को राज्य दिवसके रूप में चिन्हित किए जाने वाले विलय दिवस पर बधाई दी थी.
पिछले साल दिसंबर में 2020 का कैलेंडर जारी करते हुए जम्मू–कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के लिए छुट्टियों की एक सूची जारी कीगई. इसमें भारत में विलय दिवस 26 अक्टूबर को राजकीय अवकाश के रूप में चिन्हित किया गया, जबकि 5 दिसंबर को शेख मोहम्मदअब्दुल्ला की जयंती पर राजकीय अवकाश समाप्त कर दिया गया. इस फैसले का समर्थन करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने ट्वीट में लिखाथा, “जम्मू–कश्मीर के लोगों को बधाई. जिस दिन मेरे दादा जी महाराज हरि सिंह ने भारत में विलय के कागज पर हस्ताक्षर किया था, अगले साल 26 अक्टूबर से यह राजकीय अवकाश के रूप में मनाया जाएगा.”
BJP ने महाराजा हरि सिंह को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग उठाई थी. महाराज हरि सिंह जम्मू कश्मीर केराजा थे जिन्होंने 26 अक्टूबर, 1947 को उस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया था, जिसके तहत जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा बना था. जम्मू कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंदर रैना ने मांग की थी कि पार्टी चाहती है कि जम्मू कश्मीर के भूतपूर्व महाराजा को भारत रत्न दियाजाए.