New Delhi : कानपुर केस में विकास दुबे के लिये मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के सस्पेंड चल रहे एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी केके शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच टीम को शक है कि विनय तिवारी ने ही विकास दुबे को इस बात की जानकारी दी थी कि रात में उसको पकड़ने के लिए टीम आने वाली है। इसके बाद विकास ने घटना का अंजाम दिया और आठ पुलिसवालों की जान ले ली। आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार पी ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
As per evidence, it has been found that police personnel Vinay Tiwari & KK Sharma had informed Vikas Dubey about the raid beforehand. So, he was on alert and planned to attack police which resulted in the death of 8 policemen: SSP Kanpur Dinesh Prabhu. #KanpurEncounter pic.twitter.com/ypKZeMMpY7
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2020
कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी ने कहा कि जांच के दौरान पाया गया – विनय तिवारी और केके शर्मा ने ही पुलिस कार्रवाई की जानकारी पहले ही विकास दुबे को दे दी। सूचना मिल जाने पर उसने अपनी तैयारी कर ली। जांच के बाद हमने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। एसएसपी ने कहा – कोई भी पुलिस के काम में बाधा डालेगा, चाहे वह पुलिस वाला ही क्यों न हो, हम कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे।
विनय तिवारी शुरू से ही इस मामले में शक के घेरे में था। वह उस टीम में सबसे पीछे चल रहा था जो विकास को पकड़ने गई थी। विकास ने रास्ते में जेसीबी लगाकर पुलिस का रास्ता रोकने की कोशिश की। विनय उसी जेसीबी के पीछे छुप गया था। घटना के बाद से ही विनय जांच एजेंसियों के रडार पर था। प्रारंभिक जांच के बाद से ही उसे सस्पेंड कर दिया गया था।
#WATCH As per evidence, it has been found that police personnel Vinay Tiwari & KK Sharma had informed Vikas Dubey about the raid beforehand. So, he was on alert and planned to attack police which resulted in the death of 8 policemen: SSP Kanpur Dinesh Prabhu. #KanpurEncounter pic.twitter.com/JNb8ygW25h
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2020
सीओ बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्र ने 14 मार्च 2020 को चौबेपुर थाने का निरीक्षण किया था। इस दौरान पता चला – 13 मार्च को विकास दुबे के खिलाफ वसूली के लिये धमकी, बलवा आदि की एफआईआर दर्ज हुई थी। जांच चौबेपुर थाने के दरोगा अजहर इशरत को सौंपी गई। अगले ही दिन विवेचक अजहर ने मुकदमे से वसूली के लिये जान से मारने की धमकी देने की धारा 386 हटा दी। सीओ ने पूछा तो दरोगा ने बताया कि थानेदार के कहने पर हटाई गई। इसी दिन सीओ ने चौबेपुर थानेदार रहे विनय तिवारी के खिलाफ एसएसपी को रिपोर्ट भेजी।
इसमें लिखा – एक दबंग कुख्यात अपराधी के विरुद्ध थानाध्यक्ष द्वारा सहानुभूति रखना अब तक कार्रवाई न करना सत्य निष्ठा को संदिग्ध करता है। सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक निलंबित थानेदार विनय तिवारी का विकास दुबे के घर आना जाना था। यदि थानेदार के खिलाफ कार्रवाई न की गई तो कोई गंभीर घटना हो सकती है। यह रिपोर्ट पुलिस कार्यालय आई और फाइलों में दब गई। नतीजा यह निकला कि विकास दुबे बेखौफ हो गया।
चौबेपुर थाने के पूर्व एसओ को एसटीएफ मंगलवार को बिकरू गांव लेकर पहुंची। एसटीएफ ने पूरे मामले में विनय का बयान दर्ज किया था। इसके बाद पुलिस वहां कैसे फंसी और गोलियां कहां से चल रही थी…? पूरे क्राइम सीन को समझा और एसओ कैसे बच गए, उन्हें खंरोच तक नहीं आई यह भी पूछा। इसके बाद टीम उन्हें लेकर लौट गई।
A team led by Additional District Magistrate (land acquisition) has been formed to investigate different angle of the case linked with the killing of 8 policemen at Bikru village on July 3. The magistrate has initiated the probe: Kanpur DM Brahma Deo Ram Tiwari pic.twitter.com/DQ2MS4hWiJ
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2020
मास्क लगा होने से पहले तो लोग विनय तिवारी को पहचान नहीं सके। इसके बाद टीम ने पूछताछ करते हुए एक-एक मुआयना शुरू किया तो लोग समझ सके कि पूर्व एसओ को लेकर एसटीएफ जांच करने पहुंची है। पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि विनय खुद ही नहीं थाने की पूरी टीम लेकर सबसे पीछे थे। टीम विकास के घर की तरफ बढ़ी तो वह रुक गए और फायरिंग शुरू होते ही पूरी टीम के साथ भाग निकले थे। इसके चलते उन्हें खरोच तक नहीं आई थी और वह मुठभेड़ के दौरान की पूरी जानकारी भी नहीं दे सके। जबकि क्षेत्र की जानकारी से अनभिज्ञ सीओ और एसओ फंस गये।