प्रतीकात्मक तस्वीर

वंदे भारत मिशन : UAE में फंसे 354 नागरिकों को भारत लेकर पहुंचा एयर इंडिया का विमान

New Delhi : एयर इंडिया की पहली फ्लाइट अबू धाबी में फंसे 177 भारतीयों को लेकर गुरुवार रात 10 बजकर 9 मिनट पर कोच्चि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंची। अगली फ्लाइट रात 10 बजकर 45 मिनट पर पहुंची। दरअसल, एयर इंडिया ने भारत में फंसे यूके, अमेरिका और सिंगापुर के नागरिकों के लिए बुकिंग शुरू कर दी है। विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए वंदे भारत मिशन के तहत जो फ्लाइट इन तीन देशों में जायेंगी उनमें इधर से भी लोग जा सकेंगे।

कोरोना संक्रमण के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों की वापसी के लिए गुरुवार से शुरू किये गये ‘वंदे भारत मिशन’ के पहले दिन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से दो में से पहला विमान 177 भारतीय नागरिकों को लेकर केरल पहुंच चुका है। दो उड़ानों में गुरुवार को दो जुड़वा बच्चों और 11 गर्भवती महिलाओं सहित कुल 354 भारतीय नागरिक स्वदेश पहुंचे। भारत ने कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू अंतरराष्ट्रीय यात्रा लॉकडाउन के बीच विदेशों से अपने फंसे हुए नागरिकों को वापस लाने के लिये अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया है। इसे ‘वंदे भारत अभियान’ नाम दिया गया है। यात्री गुरुवार की सुबह 9 बजकर 30 मिनट से ही अबूधाबी और दुबई हवाई अड्डे पर पहुंचने शुरू हो गए थे। कुछ यात्री अपने साथ भारत का राष्ट्रध्वज लेकर आये थे।
भारत सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह विदेशों में फंसे भारतीयों को चरणबद्ध तरीके से सात मई से स्वदेश लाएगी। दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास में प्रेस, सूचना एवं संस्कृति दूत नीरज अग्रवाल ने गल्फ न्यूज से कहा कि दो लाख से अधिक आवेदकों के डेटाबेस में से प्रथम यात्रियों को चयनित करना एक बहुत मुश्किल कार्य है, जिसमें दूतावास के लिये कई चुनौतियां हैं। इन आवेदकों में 6,500 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। दो लाख लोगों में करीब 354 लोग गुरुवार को प्रथम दो उड़ानों में भारत लौटेंगे, जो केरल जाएंगे।

वाणिज्य दूतावास ने यात्रियों से हवाईअड्डे पर भीड़ नहीं लगाने की अपील की है। अग्रवाल ने कहा – हम यथासंभव योग्य लोगों को भेजने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोगों से समझदारी दिखाने की उम्मीद करते हैं। हर किसी की तात्कालिकता का हल करना बहुत मुश्किल है। हम गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देना चाहते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसी महिलाओं को एक ही विमान में भेजना स्वास्थ्य और सुरक्षा के दृष्टिकोण से व्यावहारिक नहीं हैं।

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