New Delhi : अमेरिका ने चीन पर पड़ोसियों को धमकाने का आरोप लगाया है। बुधवार शाम व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैकनेनी ने कहा- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मानते हैं कि चीन न सिर्फ भारत, बल्कि दूसरे देशों के खिलाफ भी आक्रामक रवैया अख्तियार कर रहा है। यह वहां की कम्युनिस्ट पार्टी और सरकार के असली चेहरे का सबूत है।
कुछ दिन पहले विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था – अमेरिका यूरोप से सैनिक कम करके उन्हें एशिया में तैनात करेगा ताकि चीन का मुकाबला किया जा सके। चीन ने अब तक इस बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
With regard to India & China,we're closely monitoring the situation. Both India&China have expressed desire to de-escalate. We support a peaceful resolution of current situation: White House press secy Kayleigh McEnany on US President's take on India banning 59 Chinese apps (1/2) pic.twitter.com/znUExO6MFP
— ANI (@ANI) July 1, 2020
भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों ने यहां सैन्य तैनाती बढ़ाई है। व्हाइट हाउस ने कहा- अमेरिका इस वक्त भारत और चीन के बीच तनाव पर पैनी नजर रख रहा है। हम दोनों से यह उम्मीद करते हैं कि वे इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल करें। सात हफ्ते से जारी तनाव को आप हल्के में नहीं ले सकते।
मैकनेनी ने कहा- बात सिर्फ भारत या एशिया की नहीं है। दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी आप चीन का यही रवैया देख सकते हैं। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए अमेरिका मानता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और सरकार यही असली चेहरा है। इसके पहले संसद में चर्चा के दौरान कई सांसदों ने भारत के खिलाफ चीन के रवैये पर चिंता जाहिर की।
अमेरिकी कांग्रेस की इंटेलिजेंस कमेटी के चेयरमैन एडम शिफ ने कहा- चीन ने पिछले महीने भारतीय सैनिकों के साथ रगड़ा किया। भारतीय सैनिकों की जान गई। चीन को काफी नुकसान हुआ लेकिन, उसने ये दुनिया से छिपा लिया।
.@PressSec on the President's vision of law and order vs. the failed CHAZ experiment in anarchy: pic.twitter.com/WV36yXDpuN
— The White House (@WhiteHouse) July 1, 2020
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने भारत द्वारा चीन के 59 ऐप्स पर बैन का स्वागत किया। कहा- विदेश मंत्री पोम्पियो पहले ही इस बारे में पक्ष रख चुके हैं। अमेरिकी प्रशासन भारत के इस कदम का स्वागत करता है। इन ऐप्स के जरिये जासूसी की जा रही थी। भारत ने यह कदम अपनी हिफाजत के लिए उठाया है और यह उसका हक है।