केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह बोले- चीन को असम देने के लिये भी राजी हो गये थे जवाहर लाल नेहरू

New Delhi : केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने भारत और चीन के बीच पूरे विवाद को विस्तार से समझाया है। वीके सिंह ने नमो ऐप के जरिए भारत-चीन के हर पहलू पर विस्तार से जानकारी दी है। वीके सिंह ने बताया – भारत-चीन का मसला आजादी के बाद से ही चला आ रहा है। आजादी के बाद भारत अपनी स्थिति परिस्थितयों से निपट रहा था वहीं चीन घात लगाये बैठा था कि कब वो भारत की सीमा पर कब्जा करे।
उन्होंने कहा- भारत की जो सीमाएं थी वो अंग्रेजों ने तय की थी। उन्होंने जो संधियां की थीं उसी के मुताबिक हमारी सीमाएं बंटी हुई थीं। जिस वक्त भारत अपनी स्थिति बेहतर करने में जुटा था तभी चीन ने 50 के दशक में तिब्बत पर कब्जा कर लिया। नेहरू जी ने जवानों से पीछे आने के लिये कह दिया। इससे पहले ल्हासा के अंदर भारतीय सेना की एक टुकड़ी तैनात होती थी। भूटान के अंदर भी भारतीय जवानों की एक टुकड़ी तैनात रहती थी।

सिंह ने बताया- भूटान, लातुंग, सिक्किम ये रास्ता हुआ करता था। चीन ने जब वहां पर कब्जा करना चाहा था नेहरू जी ने कहा कि सेना को पीछे ले आओ। तभी दलाई लामा आ गये और चीनियों ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया। इसी तरह चीन ने सिक्यांग पर भी कब्जा कर लिया। अब चीन के लिये समस्या थी कि वो तिब्बत और सिक्यांग को कैसे जोड़े। क्योंकि उन दोनों के बीच भारत का हिस्सा पड़ता था। जब चीन ने देखा कि भारत का तो कोई आता ही नहीं है इस इलाके में तो उन्होंने रोड बनाना शुरू किया। वहां पर रोड बनाना बहुत आसान हैं क्योंकि वहां पठार हैं। चीन ने सिक्यांग और तिब्बत को जोड़ने के लिये अक्साई चीन के बीच से एक रोड बना दी। इस तरह उसने दोनों को जोड़ दिया।
इसके बाद भारत को पता चला तो भारत ने विरोध किया। चीन ने कहा कि वो तो उनका इलाका है। इसके बाद 1959 को चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने नेहरू जी से मिलकर हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा दिया। उसके बाद उन्होंने नेहरू जी को एक छोटे सा कागज का टुकड़ा दिया और कहा कि ये रहा नक्शा और बीच में एक रेखा खींच दी। जोकि कहीं से स्पष्ट नहीं था। चीन लद्दाख के काराकोरम पर्वत को भी अपने हिस्से में बता रहा था जोकि भारत के बहुत अंदर था। इन्हीं सब बातों को लेकर 1962 का युद्ध हुआ था।

वीके सिंह ने भारत-चीन तनाव के हर विषय में जानकारी देते हुये दावा किया – 1962 में नेहरू जी ने युद्ध के बाद कहा कि असम को खाली कर दो। लेकिन चीन असम तक नहीं घुस पाया। 1962 युद्ध की एक खास बात ये थी कि जहां-जहां पर भारतीय जवान रहे वहां पर चीन कब्जा नहीं कर पाया था। अगर उस दिन भी हमारे फौजी वहां सख्ती से नहीं डटे रहते तो नेहरू जी ने असम को खाली करने के लिए कह ही दिया था।
उन्होंने बताया – चीन फिर सीजफायर करता है। मैकमोहन रेखा के पास चला गया। यहां पर उसका कोई क्लेम नहीं था। लेकिन लद्धाख के अंदर उसने अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया था। क्योंकि सिक्यांग और तिब्बत का बहुत महत्वपूर्ण वो लिंक था वो उसको नहीं छोड़ सकता था।

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