New Delhi: सनम जब 13-14 साल की थी तब समीर से मिली। मार्केट ओरिएंटेड लाइवलीहुड एन्हैंसमेंट की मदद से सनम ने ज़िन्दगी में नई शुरुआत की है। सनम में बताया, ‘अब भीख मांगना और से’क्स वर्क छोड़ दिया है। नगर सभा ने दुकान दी है जहां सब्ज़ी बेचती हूं। समाज से जो प्यार और सम्मान मुझे मिला उससे मेरी ज़िन्दगी बदल गई।’ वो सब्ज़ी बेचकर दिन के 6000 रुपये तक कमा लेती हैं।
सनम हाजी ने बताया, ‘मैंने अपनी मां को बताया कि मैं अंदर से एक लड़का की तरह महसूस करती हूं और वैसे ही कपड़े पहनना चाहती हूं। उसे झटका लगा था और उसने मुझे घर से निकालने की धमकी दी थी। परिवार में बात फैली और उन्होंने मुझे ‘ठीक’ करने की कई कोशिशें की। उन्होंने मेरी सगाई एक लड़की से भी करने की धमकी दी, ये कहकर कि मेरी अम्मी की ख्वाहिश पूरी हो जाएगी। उसे कैंसर था। मैं किसी मासूम लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करना चाहती थी।’
सनम ने भीख मांगकर, से’क्स वर्कर करके अपना पेट पाला। सनम को खुद से घिन आती थी लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं था। ‘मिलन संघ’ के समीर काराजगी से मिलने के बाद सनम की ज़िन्दगी बदल गई। समीर ने सनम की काउंसिलिंग की और से’क्सुअल ओरिएंटेशन समझने में भी मदद की।
सनम ने घरवालों के ताने सुने, मार खाई, नहीं मानी तो परिवार के लोगों ने घर से निकाल दिया। उसका कुसूर सिर्फ़ इतना था कि वो एक ट्रांसवुमन थी और अपने शर्तों पर ज़िन्दगी जीना चाहती थी। सनम हाजी को गुज़ारा करने के लिए न चाहते हुए भी से’क्स वर्कर बनना पड़ा था। आज वो अपने पैरों पर खड़ी हैं। सब्ज़ी बेचकर अपना गुज़ारा कर रही हैं।
LGBTQ+ समुदाय को आज भी समाज ओछी नज़रों से देखता है। कानून बनने के बावजूद उनके साथ भेद-भाव किया जाता है, उनका शोषण किया जाता है। 22 साल की सनम हाजी की ज़िन्दगी भी ऐसी ही थी। बागलकोट, कर्नाटक के एक इज़्ज़तदार खानदान में उनका जन्म हुआ। नाम रखा गया हैदर अली। किशोरावस्था में आने के बाद उन्हें लगा कि उनमें महिलाओं के गुण हैं और उन्हें अंदर से भी एक औरत जैसा महसूस होता था। हालांकि, वक्त के साथ जिंदगी ने करवट ली और आज परिवार सनम के साथ है।