New Delhi : देवभूमि उत्तराखंड के चमोली ज़िले के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) क्षेत्र में स्थित ‘नृसिंह मंदिर’ भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशमों में से एक है । नरसिंह मंदिर जोशीमठ का सबसे लोकप्रिय मंदिर है , यह मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे। सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिम्हा बद्री भी कहा जाता है । ‘नृसिंह मंदिर’ के बारे में यह माना जाता है कि यह मंदिर, संत बद्री नाथ का घर हुआ करता था। 1200 वर्षों से भी पुराने इस मंदिर के विषय में यह कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं इस स्थान पर भगवान नरसिंह की शालिग्राम की स्थापना की थी।
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अपनी शीतकालीन पूजास्थली श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ से श्री बदरीनारायण जी अपने धाम बद्रीनाथ जी की ओर चले ,🙏🙏
जय बद्री विशाल जी
Video by Ashish Dimri Ji Joshimath pic.twitter.com/eD5ZHX4O3O— Dr. Dinesh C. Sati (@DineshCSati) May 13, 2020
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व जोशीमठ नृसिंह मंदिर में आयोजित होने वाली तिमुण्डिया और गरुड़छाड़ पूजा कोरोना के चलते रद्द pic.twitter.com/jr8q7cUrMj
— Vishesh Tiwari (@t_vishesh) April 10, 2020
जोशीमठ अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर नवनिर्मित मंदिर और अपने पौराणिक स्थान पर विराजमान हुए भगवान लक्ष्मीनृसिंह, भगवान नृसिंह के मूर्ति की बाई कलाई बाल के बराबर पतली है @SanjayBragta @manjeetnegilive pic.twitter.com/GxTUN38TRY
— kamal nayan silori (@kamaljoshimath) April 18, 2018
मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति शालिग्राम पत्थर से बनी है , इस मूर्ति का निर्माण आठवी शताब्दी में कश्मीर के राजा ललितादित्य युक्का पीड़ा के शासनकाल के दौरान किया गया और कुछ लोगों का मानना है कि मूर्ति स्वयं-प्रकट हो गई , मूर्ति 10 इंच(25से.मी) है एवम् भगवान नृसिंह एक कमल पर विराजमान हैं । भगवान नरसिंह के साथ इस मंदिर में बद्रीनारायण , उद्धव और कुबेर के विग्रह भी स्थापित है । मंदिर प्रागण में नरसिंह स्वामी की दायीं ओर भगवान राम , माता सीता , हनुमान जी और गरुड़ की मूर्तियाँ स्थापित हैं तथा बायीं ओर माँ चंडिका (काली माता) की प्रतिमा विराजमान हैं । भगवान नरसिंह को अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए एवं राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए जाना जाता ह।
स्थानीय लोगों का दावा है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रसिद्ध मूर्ति दिन प्रति दिन सिकुडती जा रही है । मूर्ति की बायीं कलाई पतली है और हर दिन पतली ही होती जा रही है । ऐसी मान्यता है कि जिस दिन नृसिंह स्वामी जी की यह कलाई टूट कर गिर जाएगी, उस दिन नर और नारायण (जय और विजय) पर्वत ढह कर एक हो जायेंगे और बद्रीनाथ धाम का मार्ग सदा के लिए अवरुद्ध हो जायेगा ।
जोशीमठ में भगवान नृसिंह का भव्य मंदिर बनकर तैयार, पर अब आल वेदर रोड बनने से जोशीमठ शहर और भगवान नृसिंह का मंदिर बदरीनाथ यात्रा मार्ग से हट जाएगा जोशीमठ से 13km पहले हेलंग मारवाड़ी बाईपास बनेगा, @nitin_gadkari @tsrawatbjp @SanjayBragta @manjeetnegilive @ReporterRavish pic.twitter.com/2OoXi3vjtI
— kamal nayan silori (@kamaljoshimath) April 17, 2018
आज नृसिंह मन्दिर जोशीमठ के मठांगण में जगतजननी नव दुर्गा के उग्र वीर तिमुण्डिया का अद्भुत और अकल्पनीय मेला, बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से ठीक पहले होता। जिसमें तिमुण्डिया का पस्वा सबके सामने 40 किलो चावल 10 किलो गुड़ और दो घड़े पानी पीता। @SanjayBragta @manjeetnegilive pic.twitter.com/uw1VaYEEco
— kamal nayan silori (@kamaljoshimath) May 4, 2019
भगवान श्री बदरीनाथ जी का तेल कलश (गाड़ू घड़ा) डिम्मर गांव से जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंची, इसके साथ ही कपाट खुलने की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
कल जोशीमठ से शंकराचार्य जी की गद्दी और रावल जी यहां से पांडुकेश्वर रात्रि विश्राम के लिए रवाना होंगे।
15 मई को प्रातः 4:30 के शुभ pic.twitter.com/28iMYJRjFf— Manish Rana (@ManishR43603) May 13, 2020
तब जोशीमठ से तक़रीबन 23 किमी की दूरी पर, ‘भविष्य बद्री’ में नए बद्रीनाथ की स्थापना होगी एवम् ऐसी मान्यता है कि नृसिंह स्वामी अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करते हैं।