दसवीं में थर्ड डिवीजन, बारहवीं में फेल लेकिन निराश होने के बजाय IPS बने मनोज कुमार शर्मा

New Delhi : जिंदगी में जीत से ज्यादा हार जरूरी है। हार लोगों को रास्ते दिखा देती है कि किस तरह से सफल होना है। स्कूल में कम आए नंबर या फेल होने से जिंदगी खत्म नहीं होती। परीक्षा के बाद रिजल्ट का टाइम न सिर्फ बच्चे बल्कि पेरेंट्स के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है। एक तरह बच्चों को एग्जाम में मिलने वाले नंबर की चिंता सताती है, ती वहीं माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। कई बार ये देखा गया है कि बच्चों पर माता-पिता परीक्षा में अच्छा अंक लाने का एक टास्क जैसा दे देते हैं। परीक्षा के बाद बच्चे इसी टेंशन में रहे हैं कि उतने नंबर आएंगे की नहीं।

फेल होने का भी डर उनको सताता रहता है। 12वीं परीक्षा में फेल होने पर छात्रों को लगता है कि करियर खत्म हो गया लेकिन मुंबई के एडिशनल पुलिस कमिश्नर मनोज कुमार शर्मा ने बोर्ड परीक्षा में फेल होने के बाद जीवन में शानदार कामयाबी हासिल की। 9वीं, 10वीं में थर्ड डिवीजन से पास मनोज बारहवीं कक्षा में भी हिंदी को छोड़ सभी विषयों में फेल हो गए थे। गांव के लोग हैरान थे और दोस्त चिढ़ाते थे। लेकिन मनोज ने हिम्मत नहीं हारी। ग्वालियर से पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद पीएचडी भी पूरी की।
उन्होंने चौथे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा 121 वीं रैंक के साथ पास की।जल्द ही मनोज के संघर्ष की कहानी पर आधारित ’12वीं फेल’ नामक उपन्यास का विमोचन होने वाला है। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले मनोज कुमार शर्मा के दोस्त अनुराग पाठक ने उनके ऊपर और भी लोगों के बारे में ’12वीं फेल’ नाम से एक किताब लिखी है। जिन्होंने बोर्ड परीक्षा में फेल होने के बाद भी अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की है।’

यह किताब जल्द बाजार में आने वाली है। खास बात यह है कि ’12वीं फेल’ किताब के लेखक अनुराग पाठक भी 12वीं फेल हो गए थे। अनुराग पाठक बताते हैं कि उनकी किताब का उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है जिन्हें बोर्ड परीक्षा में फेल होने से डर लगता है। शर्मा बताते हैं कि वह स्कूल के दिनों में नंबर के लिए परेशान नहीं होते थे। क्लास में आने वाले नंबर जिंदगी में सक्सेस का पैमाना नहीं होते हैं।

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