New Delhi : बॉलीवुड में मैनेरिज्म के राजा संजीव कुमार एक ऐसा नाम हैं जिन्हें न सिर्फ अपनी एक्टिंग स्किल बल्कि अपने रोमांटिक अफेयर्स के लिये भी याद किया जाता है। एक ऐसा शख्स जिसका नाम उसके दौर की लगभग हर हीरोइन के साथ जुड़ा। कई अफेयर्स भी हुये। धोखा दिया और खाया भी। …और आखिर में 47 साल की कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह गये।
बॉलीवुड में साल 1960 से 1984 तक सक्रिय रहे अभिनेता संजीव कुमार का असली नाम हरीभाई जेठालाल जरीवाला था। वो गुजरात के सूरत में पैदा हुए थे और हीरो बनने के लिये मुंबई चले आये थे। अभिनय का शौक जागने पर संजीव कुमार ने इप्टा के लिये स्टेज पर अभिनय करना शुरू किया इसके बाद वे इंडियन नेशनल थिएटर से जुड़े।
Harihar Jethalal Jariwal shared birthday with Guru Dutt. Both immensely powerful actors, worked with best makers and heroines. Two time national award winner, he gave Dastak with Aandhi and created Sholay. Happy birthday "Thakur" aka Sanjeev Kumar.
— Ram Kamal । राम कमल (@Ramkamal) July 8, 2020
हम हिंदुस्तानी (1960) संजीव कुमार की पहली फिल्म थी। उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किये और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। 1968 में रिलीज हुई ‘राजा और रंक’ की सफलता ने संजीव कुमार के पैर हिंदी फिल्मों में मजबूती से जमा दिये। संघर्ष (1968) में उन्होंने दिलीप कुमार के सामने एक छोटा सा रोल किया था। उनके बेहतरीन अभिनय से दिलीप भी काफी प्रभावित हुये।
संजीव कुमार को उम्रदराज लोगों के रोल करने में माहिर समझा जाता था। उन्होंने कई फिल्मों में अपनी उम्र से दोगुने उम्र वाले व्यक्ति का रोल निभाया और ये सभी किरदार काफी पसंद किये गये। गुलजार और संजीव कुमार ने मिलकर कोशिश (1973), आंधी (1975), मौसम (1975), अंगूर (1980), नमकीन (1982) जैसी बेहतरीन फिल्में दीं।
Tribute To My Favourite Actor Sanjeev Kumar Ji On His 82nd Birth Anniversary 🙏
A Versatile Actor Who Can Play Every Difficult Role Like A Boss.
Unfortunately The Actor Who Played Many Elderly Roles, Left This World Just At Age Of 48. But He Will Be Remembered (1/2) pic.twitter.com/Nhn8DJseoZ— दिव्या 🇮🇳❤️ (@DivuHere) July 8, 2020
संजीव कुमार ने अपने करियर में हर तरह की फिल्में की। वे सिर्फ हीरो ही नहीं बनना चाहते थे। साल 1968 में प्रदर्शित फिल्म ‘शिकार’ में संजीव कुमार पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिये। यह फिल्म पूरी तरह अभिनेता धर्मेन्द्र पर केंद्रित थी, फिर भी संजीव अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।
संजीव कुमार के परिवार में कोई भी पुरुष 50 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाया। संजीव को भी हमेशा महसूस होता था कि वे ज्यादा नहीं जी पायेंगे। उनके छोटे भाई नकुल की संजीव से पहले चले गये। ठीक 6 महीने बाद बड़ा भाई किशोर भी चल बसा। संजीव के परिवार के बारे में कहा जाता था कि बेटे के 10 साल का होने पर पिता चल बसता है। संजीव कुमार ने भी 47 वर्ष की आयु में ही 6 नवम्बर 1985 को इस दुनिया को अलविदा कहा।
संजीव कुमार के जाने के बाद उनकी दस से ज्यादा फिल्में प्रदर्शित हुईं। अधिकांश की शूटिंग बाकी रह गई थी। कहानी में फेरबदल कर इन्हें प्रदर्शित किया गया। 1993 में संजीव कुमार की अंतिम फिल्म ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ प्रदर्शित हुई।
Today is #Birth_Anniversary of a legendary Actor of Indian Flim Industry Shri #Sanjeev_Kumar ji…
One of my favourite Actors of 90s…I pay tribute to him on his #birth_anniversay…..@PMOIndia @dreamgirlhema @aapkadharam @SrBachchan pic.twitter.com/rZgWfJxFNS
— Prasenjit Deb (@PRASENJ32039070) July 8, 2020
शोले में संजीव कुमार ने जो ठाकुर का रोल निभाया था उसे धर्मेन्द्र करना चाहते थे। निर्देशक रमेश सिप्पी उलझन में पड़ गये। उस समय हेमा मालिनी के धर्मेन्द्र दीवाने थे और संजीव कुमार भी। रमेश सिप्पी ने धर्मेन्द्र से कहा – तुमको वीरू का रोल निभाते हुये ज्यादा से ज्यादा हेमा के साथ रोमांस करने का मौका मिलेगा। यदि तुम ठाकुर बनोगे तो मैं संजीव कुमार को वीरू का रोल दे दूंगा। ट्रिक काम कर गई और धर्मेन्द्र ने यह जिद छोड़ दी। ठाकुर के रोल के कारण संजीव कुमार को आज तक याद किया जाता है।
अपनी जिंदगी को लेकर चिंतित संजीव कुमार शादी करने से बचते रहे। हेमा मालिनी को वे पसंद करते थे, लेकिन बीच में धर्मेन्द्र आ गये। सुलक्षणा पंडित के साथ संजीव की नजदीकियां सुर्खियां बटोरती रहीं, लेकिन सुलक्षणा के साथ शादी करने की हिम्मत संजीव नहीं जुटा पाये।
एक बार नूतन ने संजीव कुमार को गाल पर थप्पड़ रसीद दिया था। दरअसल नूतन और संजीव के बीच रोमांस की खबरें फैल रही थीं जिससे नूतन के वैवाहिक जीवन में खलबली मच गई थी। नूतन को लगा कि संजीव इस तरह की बातें फैला रहे हैं लिहाजा आमना-सामना होने पर उन्होंने संजीव को थप्पड़ जमा दिया।
More than Sushant's unfortunate demise, I felt sad for Sanjeev Kumar. Loved him so much. He died before turning 50. Probably the only actor whom I miss a lot even today. Loved him in Pati Patni aur Woh, Mausam and Angoor.😔🥺 Gone too soon 💔@SKumarAdmirers pic.twitter.com/4tuRoTPB8l
— mahindreamgirl (@mahindreamgirl) July 8, 2020
संजीव कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। एक बार दस्तक (1971) के लिये और दूसरी बार कोशिश (1973) के लिये। 14 बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिये संजीव कुमार नॉमिनेट हुये। दो बार उन्होंने बेस्ट एक्टर (आंधी-1976 और अर्जुन पंडित-1977) का और एक बार बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (शिकार-1969) का अवॉर्ड जीता। सूरत में एक सड़क और एक स्कूल का नाम संजीव कुमार के नाम पर रखा गया।