New Delhi : हंदवाड़ा में भारतीय सेना के चार जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर की शहादत पर देश के पूर्व सैन्यकर्मियों का कहना है कि कश्मीर में इस तरह की घटनाओं से निपटने की रणनीति में बदलाव जरूरी है। सेना को राजनीति से दूर रखकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
रिटायर्ड कर्नल वीके साही ने कहा – यदि कहीं कोई अपराधी किसी घर में पनाह लिये हुये है या लोगों को बंधक बना रखा है तो सबसे पहले वहां मौजूद लोगों को चेतावनी देकर बाहर आने के लिये कहा जाना चाहिये। अगर ऐसा नहीं होता है तो उस जगह को विस्फोट से उड़ा देना चाहिये। इसी से इनको पनाह मिलना बंद होगा। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कब तक बंदी बनाने के नाम पर इनको पनाह मिलती रहेगी और इन्हें बचाने के नाम पर जवान शहीद होते रहेंगे? ये तो देश के साथ नमकहरामी हो रही है। इन नमकहरामों की वजह से जवान कब तक शहीद होंगे?
कश्मीर में दहशत फैलानेवालों को स्थानीय स्तर पर पनाह मिलती है। जिसकी आड़ में वे छिप जाते हैं और फिर लोगों को बंधक बनाने के नाम पर सुरक्षा बलों के अंदर आते ही कार्रवाई करते हैं। इस साल जनवरी से अब तक जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में हुई मुठभेड़ में 62 से ज्यादा दहशत गर्द की जान गई। लॉकडाउन के दौरान सीमा पार से लगातार घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं।