बेहद दिलचस्प- बाघों का बेतहाशा शिकार करनेवाले जिम कॉर्बेट के नाम पर क्यों बना नेशनल पार्क

New Delhi : दिल्ली से लगभग 280 किमी. दूर उत्तराखंड में देश का सबसे पुराना टाइगर नेशनल पार्क है। इस पार्क का नाम है जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जो कि ब्रिटिश मूल के थे लेकिन भारत में पैदा हुए और भारत के लिए ही इन्होंने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। ये आदमी एक समय में बाघों का खूब शिकार किया करता। बाघों के आतंक से स्थानीय निवासियों को बचाता उनके रक्षा कवच के रूप में हमेशा मौजूद रहता फिर ऐसा क्यों है कि बाघों के इस शिकारी के नाम पर देश का सबसे पुराना और बड़ा नेशनल पार्क है। आज इनकी जयंति पर इनसे जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं।

25 जुलाई 1875 में उत्तराखंड में जन्मे जिम कॉर्बेट भारत में ही पले बढ़े। वे शुरू से ही वहां के पहाड़ों और जंगलों में रहने के कारण उन्हें अपने स्थानीय वातावरण की काफी जानकारी हो गई थी। जंगलों में घूमना और नए नए जानवरों से रूबरू होने की कोशिश धीरे -धीरे उनका शौक बन गई। वे जंगली जानवरों और पक्षियों के साथ इतने घुल-मिल गए थे कि उनकी आवाज से ही जानवर और पक्षियों को पहचान लेते थे।
परिवार में बंदूकें होने के कारण उनको शिकार का भी चस्का लग गया छोटे जानवरों के शिकार करते करते वे बाघों का शिकार करने लगे। गांव वालों को बाघों और खूंखार जानवरों से आजादी दिलाने के अलावा भी वे बाघों का शिकार करते लेकिन बाद में जैसे जैसे उन्होंने इस विषय में अध्ययन किया तो उनका मन अपने इस काम से उचटने लगा। आदम खोर बाघों से निपटने के लिए उन्होंने उनके शिकार के बजाए कुशल प्रबंधन की नई नई योजनाओं पर विचार किया और बाघों के लिए सुरक्षित आवास के लिए अंग्रेजी सरकार से लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने यूनाइटेड प्रोविंस में अपनी पहचान और सिफारिश लगाकर एक ऐसे पार्क को बनवाया, जहां ये जीव सुरक्षित रह सकें। उसका नाम था हेली नेशनल पार्क जिसे बाद में नाम बदलकर जिम कॉर्बेट के ऊपर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया।

जिम एक कुशल शिकारी तो थे ही वे नरम दिल इंसान भी थे। उन्होंने उत्तराखंड में बिताए अपने अनुभवों पर अधारित कई किताबें लिखी हैं जिनमें ‘मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं’, ‘माय इंडिया’, ‘जंगल लोर’, ‘जिम कॉर्बेट्स इंडिया’ और ‘माय कुमाऊं’। उनकी किताब ‘जंगल लोर’ को उनकी ऑटोबायोग्रफी माना जाता है। वो बच्चों के लिए भी एक तरह की क्लासेज चलाते थे जहां उन्हें अपनी नेचुरल हेरिटेज को बचाने और उसके संरक्षण की बातें सिखाते थे। वे दार्शनिक और एक अच्छे फॉटोग्राफर भी थे।

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