New Delhi : चंडी देवी मंदिर देवभूमि उत्तराखण्ड की धार्मिक नगरी हरिद्वार जिसे धर्मनगरी और कुंभनगरी भी कहते हैं में नील पर्वत के शिखर पर विराजमान है चंडी देवी मंदिर। इन दिनों यूं भी हरिद्वार में अर्ध-कुंभ मेला चल रहा है। इसलिए अगर आप अर्ध-कुंभ में हरिद्वार जा रहे हैं तो यहाँ हर की पैड़ी में पवित्र स्नान के साथ ही देवी चंडी मंदिर का भी दर्शन अवश्य करें। पवित्र गंगा नदी के दूसरी ओर अवस्थित यह मंदिर देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।
माँ चंडी देवी मंदिर 🚩
माँ चंडी देवी मंदिर नील पर्वत के शिखर, हरिद्वार में स्थित है। यह देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।
यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।
ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में जो मूर्ती है उसे महान संत आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में स्थापित किया था। pic.twitter.com/eQMAtvl0rB— ईश्वर वशिष्ट 🇮🇳 (@VashistIshwar02) June 19, 2020
चंडी देवी मंदिर उत्तराखण्ड की पवित्र धार्मिक नगरी हरिद्वार में नील पर्वत के शिखर पर स्थित है। यह गंगा नदी के दूसरी ओर अवस्थित है। यह देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। चंडी देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। pic.twitter.com/PQiafow97i
— Gajraj Andana (@GajrajA) November 17, 2019
Ma Chandi Devi Temple, Haridwar is nestled atop the Neel Parvat on the summit of the Shivalik Hills, in the Himalayan Mountain range.
The great Indian Saint and philosopher Adi Shankaracharya is credited with placing the Idol of the Goddess here, sometime in the 8th century. pic.twitter.com/pteKpRW0ax
— Indian Art (@IndiaArtHistory) June 28, 2020
Perched on the top of the Neel
Parvat, Chandi Devi Temple – Haridwar. It is believed that the principal deity of the temple was established by Saint Adi Shankarcharaya in the 8th cen.Temple is also one of the Panch Tirth, five pilgrimage sites located in Haridwar.@LostTemple7 pic.twitter.com/IMDChqpzaH
— भारतीय संस्कृति {Vedic Culture} (@AlpaChauhan_) August 9, 2020
ज्ञातव्य है कि इस सिद्धपीठ मंदिर को कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1929 ई. में बनवाया था। मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य जी ने आठवीं शताब्दी में देवी चंडी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। जनश्रुतियों के अनुसार देवी दुर्गा की प्रतिरूप देवी चंडी ने दानव शुंभ-निशुंभ के साथ ही इनके सेनापति चंड-मुंड का यहीं पर संहार किया था।
इसी कारण इस स्थल का नाम चंडी देवी पड़ा। इस स्थान तक पहुँचने के लिए आप हरिद्वार में कहीं से भी ऑटोरिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं। हरिद्वार में चंडीघाट पहुँच कर यहाँ से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद इस स्थल तक पहुंचा जा सकता है।
I added a video to a @YouTube playlist https://t.co/00YGBPp9iL Chandi devi udan khatola haridwar uttrakhand
— vikas gupta (@vikasg382) March 11, 2018
Maa chandi devi ji ropeway at Haridwar, Uttarakhand. Total length about 740 meters and a height of 208 meters. One of the most iconic and oldest ropeways in India proudly executed by Aarconinfra #ropeway #mountains #cablecar #technology #business #tourism #india #makeinindia pic.twitter.com/bpdlicQ5OL
— AarconInfra (@AarconInfra) June 19, 2020
On a b'ful trip to #Haridwar after the #InternationalYogaFestival at @ParmarthNiketan , @PujyaSwamiji blessed a spiritual tour of Chandi Devi temple & Har-ki-Pauri, leading participants from around the world in joyous chanting & devotional singing. #MondayMotivation #joy #bhakti pic.twitter.com/B8kUBgJvTM
— Pujya Swamiji (@PujyaSwamiji) March 11, 2019
हालाँकि अब इस मंदिर के लिए रोप-वे भी बना दिया गया है जिस कारण बड़ी संख्या में लोग इस सिद्ध मंदिर में जाने लगे हैं। वास्तव में रोप-वे एक अच्छा विकल्प है और इससे यहाँ पहुँचने में लगभग 25 मिनट का ही समय लगता है।