New Delhi : तिरुवनंतपुरम के मध्य में बना विशाल किले की तरह दिखने वाला पद्मनाभ स्वामी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक स्थल है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम इस मंदिर में आये थे और यहां पूजा-अर्चना की थी। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना 5000 साल पहले कलयुग के प्रथम दिन हुई थी, लेकिन 1733 में त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड वर्मा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यहां भगवान विष्णु का श्रृंगार शुद्ध सोने के आभूषणों से किया जाता है।
@KeralaTourism thanks for this heavenly abode. Want to Visit Sri Padmanabhan Swami Temple again and again! #tranquility #pilgrimage #hindu pic.twitter.com/ywFV8ZVGb7
— Nikos Narkissos (@nikos117) August 11, 2017
यह भारत का सबसे अमीर मंदिर है। केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर में 6 तहखानों में से 5 तहखाने खुलने पर दुनिया के होश उड़ गये। इन पांच तहखानों से कीमती पत्थर, सोने और चांदी का भंडार निकल चुका है। लाख करोड़ से अधिक का खजाना वहां मिला था। छठे दरवाजे में इतना खजाना है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन इस तहखाने के दरवाजे को खोलने की कोई भी हिम्मत नहीं कर पाता। जानिए आखिर क्या है इस छठे दरवाजे का राज।
सदियों से बंद केरल के श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे बने पांच तहखानों को जब खोला गया तो वहां बहुमूल्य हीरे-जवाहरातों के अलावा सोने के अकूत भंडार और प्राचीन मूर्तियां भी निकालीं गई। लेकिन छठे तहखाने के दरवाजे के आस पास भी जाने से लोग डरते हैं। जबकि इस बात का सभी को अंदाजा है कि इस छठे दरवाजे में दुनिया का सबसे ज्यादा खजाना इस दरवाजे के पीछे छुपा है।
लेकिन जैसे ही इस मंदिर के छठे दरवाजे को खोलने की बात होती है, तो अनहोनी की कहानियों का जिक्र छिड़ जाता है। इस तहखाने में तीन दरवाजे हैं, पहला दरवाजा लोहे की छड़ों से बना है। दूसरा लकड़ी से बना एक भारी दरवाजा है और फिर आखिरी दरवाजा लोहे से बना एक बड़ा ही मजबूत दरवाजा है जो बंद है और उसे खोला नहीं जा सकता। दरअसल छठे दरवाजे में ना कोई बोल्ट है, और ना ही कुंडी। गेट पर दो सांपों के प्रतिबिंब लगे हुए हैं जो इस द्वार की रक्षा करते हैं। इस गेट को कोई तपस्वी ‘गरुड़ मंत्र’ बोल कर ही खोल सकता है। अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया, तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। पहले भी गई लोग इस दरवाजे को खोलने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन सभी को मृत्यु के दरवाजे का मुंह देखना पड़ा।
सन् 1930 में एक अखबार में छपा एक लेख बेहद डरावना था। लेखक एमिली गिलक्रिस्ट हैच के अनुसार 1908 में जब कुछ लोगों ने पद्मनाभस्वामी मंदिर के छठे तहखाने के दरवाजे को खोला तो उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा क्योंकि तहखाने में कई सिरों वाला किंग कोबरा बैठा था और उसके चारों तरफ नागों का झुंड था। सारे लोग दरवाजा बंद करके जान बचाकर भाग खड़े हुए।
करीब 136 साल पहले तिरुअनंतपुरम में अकाल के हालात पैदा हो गए थे। तब मंदिर के कर्मचारियों ने इस छठे तहखाने को खोलने की कोशिश की थी और उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी थी। अचानक उन्हें मंदिर में तेज रफ्तार और शोर के साथ पानी भरने की आवाजें आने लगी थीं। इसके बाद उन्होंने तुरंत दरवाजे को बंद कर दिया था। यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर का ये छठा तहखाना सीधे अरब सागर से जुड़ा है। अगर कोई खजाने को हासिल करने के लिए छठा दरवाजा तोड़ता है तो अंदर मौजूद समंदर का पानी खजाने को बहा ले जाएगा।
A unique move to make #PadmanabhanSwamiTemple #Thiruvananthpuram as a global Centre to Reawaken . #SanatanDharma pic.twitter.com/i9je5ptx54
— Tarun Vijay தருண் விஜய் भारत के वीर सैनिकों की जय (@Tarunvijay) April 23, 2018
श्री पद्मनाभ मंदिर की एक विशेषता है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु की शयनमुद्रा, बैठी हुई और खड़ी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। गर्भगृह में भगवान विष्णु की शयनमुद्रा में मूर्ति का शृंगार फूलों से किया जाता है। भगवान विष्णु की खड़ी मूर्ति को उत्सवों के अवसर पर मंदिर से बाहर ले जाते हैं। वर्ष में दो बार धार्मिक समारोह होता है। इस समारोह में ‘आउत’ (पवित्र स्नान) किया जाता है। इस समारोह में भगवान विष्णु , नरसिंह और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को नगर के बाहर समुद्र किनारे पर ले जाकर स्नान कराया जाता है।