मजदूर बोले- थाने के 16 चक्कर लगा चुके, मदद करो, सोनू बोले- रिलेक्स करो, 2 दिन बाद घर का पानी पियोगे

New Delhi : दानवीर सोनू सूद जल्द ही 100 से अधिक बसें बिहार-झाखंड और उत्तर प्रदेश के लिये भेजनेवाले हैं। एक सौ बसों का बेड़ा खड़ा है और अंतिम प्रक्रियाएं चल रही हैं। सोनू ने ‘घर भेजो’ इनीसियेटिव की शुरुआत अपनी एक दोस्त नीति गोयल के साथ मिलकर की है। 11 मई को 21 बसों से 750 वर्कर्स को कर्नाटक और उत्तर प्रदेश भेज चुके हैं। 10 और बसें बिहार और यूपी के लिए रवाना की जा चुकी हैं। वहीं पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम सरकारों से अनुमति मिलने का इंतजार है। अगले 10 दिनों में 100 से ज्यादा बसें मुंबई से रवाना होंगी।

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Posted by Sonu Sood on Saturday, May 23, 2020

सोनू सोशल मीडिया पर मदद मांगने वाले लोगों से संपर्क कर उनकी सहायता भी कर रहे हैं। बिहार के रहने वाले एक व्यक्त‍ि एन.मंटू ने ट्वीट कर कहा कि हम लोग 16 दिन से पुलिस चौकी के चक्कर लगा रहे हैं। कोई मदद नहीं कर रहा है। हमें बिहार जाना है। इस ट्वीट पर सोनू ने रिप्लाई करते हुए कहा- भाई चक्कर लगाना बंद करो और रिलैक्स रहो। दो दिन में बिहार में अपने घर का पानी पियोगे, डिटेल्स भेजो। मंटू के साथ 22 लोग हैं जो बिहार लौटना चाह रहे हैं और सोनू सभी को बिहार भेज रहे हैं।

सोनू इस तरह से लोगों की मदद कर रहे हैं कि लोगों ने टि्वटर पर उनको सुपरमैन और रीयल हीरो से संबोधित करना शुरू कर दिया है। उन्हें अलग-अलग तरह के कार्टून बनाकर भेज रहे हैं। स्वप्निल ने आज कुछ ऐसा ही कुछ बनाकर सोनू को भेजा और सोनू ने उसे अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है। फिलहाल 60 सीटर बस में 35 पैसेंजर्स को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए भेजा जा रहा है।

सोनू की दोस्त नीति बताती हैं – हर पैसेंजर को अपने गृह राज्य से क्लीयरेंस लेना पड़ रहा है। मान लीजिए किसी को बस्ती भेजना है तो बस्ती के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को लिस्ट भेजनी पड़ती है। वह वेरिफिकेशन करते हैं। इन सबमें 10 दिन का वक्त लग रहा था लेकिन अब नेटवर्क भी साथ है तो इसमें 48 घंटे का वक्त लग रहा है। लोकल पुलिस स्टेशन से अनुमति और हर यात्री का मेडिकल सर्टिफिकेट भी लग रहा है।

सोनू ने इससे पहले भी बिहार के कई मजदूरों को उनके घर पहुंचाये। ट्विटर के माध्यम से भी जो लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं, सोनू हर किसी की मदद कर रहे हैं। उन्होंने मुंबई के जुहू स्थ‍ित होटल के दरवाजे भी मेडिकल वर्कर्स के लिये खोले। इसके पहले जब देश में लॉकडाउन लगा तो उन्होंने अपने पिता शक्ति सागर सूद के नाम पर एक स्कीम लॉन्च की थी जिसके तहत वो रोज 45 हजार लोगों को हर रोज खाना खिला रहे थे।

सोनू सूद और उनकी दोस्त अब तक 10 हजार लोगों को मेडिकल टेस्ट करवा चुके हैं। सोनू और नीति इन लोगों को फ्री में घर भिजवा रहे हैं और अपनी जेब से पैसे भर रहे हैं। 800 किमी की ट्रिप पर उनका करीब 64,000 रुपये खर्च आ रहा है। वहीं 1600 से 2000 किमी की ट्रिप पर 1.8 लाख तक का खर्च आ रहा है। नीति बताती हैं कि शुरुआत में डोनेट करने वाले नहीं मिल रहे थे लेकिन अब फिल्म इंडस्ट्री के लोगों और कॉर्पोरेट लीडर्स मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।

बसें इन वर्कर्स को उनके दरवाजे पर उतारती हैं। सोनू सूद बताते हैं कि उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज और उनकी टीम ने लोगों को फाइनल डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए रात-रातभर बैठकर लिस्ट तैयार की है। अब सोनू और उनकी टीम कुछ पैसेंजर्स को ट्रेन से भी भेज रही है। सोनू की बसों में लोगों को खाने की दिक्कत न इसके लिए वे उन्हें बिस्किट्स, फ्रूट्स, पाव भाजी जैसे स्नैक्स वगैरह देकर भेज रहे हैं। उनके पैसेंजर्स कम से कम 1 बार का खाना खाकर जर्नी शुरू करते हैं। सोनू सूद का कहना है कि वह जब तक हर प्रवासी मजदूर घर नहीं पहुंच जाता, वह लगे रहेंगे।

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