New Delhi : Raj Thakeeay की MNS (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) ने औरंगाबाद में पोस्टर लगाए हैं जिनमें लिखा है कि अवैधपाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में सही जानकारी देने वाले मुखबिरों को 5,000 रुपये का इनाम दिया जाएगा. इससेपहले MNS के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा था कि गैर–कानूनी रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत मेंबसे प्रवासियों को उठाकर बाहर फेंक दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश पर अनावश्यक बोझ हैं.
महाराष्ट्र में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ MNS का अभियान जारी है. औरंगाबाद में MNS की ओर से एकपोस्टर लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि घुसपैठियों की जानकारी देने वाले को 5000 रुपये का इनाम दिया जाएगा. इससे पहले सेनाअध्यक्ष राज ठाकरे ने एक रैली निकालकर घुसपैठियों को बाहर निकालने की मांग की थी. राज ठाकरे ने कहा था कि गैर–कानूनी रूप सेपाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे प्रवासियों को उठाकर बाहर फेंक दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे देशपर अनावश्यक बोझ हैं. ये प्रवासी आते हैं और देशभर में फैल जाते हैं. राज्यों को उनका बोझ सहना पड़ता है. वे स्थानीय युवाओं कीनौकरियां छीन लेते हैं.
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने औरंगाबाद में पोस्टर लगाए हैं जिनमें लिखा है कि अवैध पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में सही जानकारी देने वाले मुखबिरों को 5,000 रुपये का इनाम दिया जाएगा। (27.02) pic.twitter.com/asnCSeFOxa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 28, 2020
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए राज ठाकरे ने कहा कि यह खेल खेलने के लिए मैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देता हूं. एकही कदम (सीएए–एनआरसी) से देश में उभरे आर्थिक संकट से लोगों का ध्यान हट गया. वाह, क्या कमाल खेला. ठाकरे ने मांग करते हुएपूछा कि 135 करोड़ लोगों वाले देश में क्या सच में बाहर से लोगों को लाने की जरूरत थी? या फिर भारत शरणार्थियों के लिए एकधर्मशाला बन चुका है.
राज ठाकरे ने कहा कि सरकार को पहले यह पता लगाना चाहिए कि सदियों से देश में रह रहे भारतीय मुस्लिम कौन है और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए प्रवासी कौन है. यह पता लगाने के बाद उन्हें देश से निकाल देना चाहिए. मेरी समझ में नहीं आताजब हमारी समस्याएं नहीं सुलझी हैं, तो हम क्यों शरणार्थियों को लेकर उन्हें नागरिकता दे रहे हैं? क्या शरणार्थियों को शरण देने के लिएकेवल हम ही बचे हैं?