New Delhi: ये तेजिंदर हैं। तेजिंदर मेहरा सभी को कहते हैं कि अगर सपनों को पूरा करना है तो खुद पर भरोसा करने की जरूरत है। पहले जब उन्हें खुद पर भरोसा नहीं था तो वह अपनी जिंदगी को कोसते थे। जब उन्हें अपने पर भरोसा हुआ तो जिंदगी वरदान बन गई। आज उन्हें किसी तरह का मलाल नहीं है।
जिंदगी में जीत उसी को मिलती है जो चुनौतियों का सामना करते हैं। तेजिंदर मेहरा (Tajinder Mehra Success Story) इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। बचपन से तेजिंदर का एक हाथ नहीं है। इसके कारण उनके मां-बाप तेजिंदर को किन्नरों को बेचने वाले थे।
20,000 रुपये में उनका सौदा हो गया था। लेकिन, बुआ ने ऐसा नहीं होने दिया। वह तेजिंदर को अपने साथ लेकर चली आईं। उन्होंने ही तेजिंदर को पाल-पोसकर बड़ा किया। उनकी भी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। तेजिंदर ने भी तय कर लिया था कि वह अपनी बुआ को निराश नहीं होने देंगे। उनके सामने कई तरह की चुनौतियां आईं। अंत में तेजिंदर ने बॉडीबिल्डिंग में करियर बनाया। वह 2 बार मिस्टर दिल्ली रहे।
तेजिंदर ने हिम्मत जुटाई और एक प्राइवेट जिम में बात की। जिम मालिक ने उनसे दो दिन वर्कआउट करने को कहा। तेजिंदर की लगन देखकर जिम मालिक ने उन्हें अपने साथ ही लगा लिया। उसी दौरान उनके फूफा का निधन हो गया। जिम मालिक ने तेजिंदर को कुछ समय बाद सैलरी देनी भी शुरू कर दी। उन्होंने ही तेजिंदर को बॉडी बिल्डिंग के कॉम्पिटिशन में उतरने के लिए प्रेरित किया। बनारस में पहली बार उन्होंने नॉर्थ इंडिया कॉम्पिटिशन खेला। यहां उनकी दूसरी रैंक आई थी। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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