New Delhi : उत्तर प्रदेश में 25 स्कूलों में फर्जी तरीके से नौकरी करने के मामले में सुर्खियों में आईशिक्षिका अनामिका शुक्ला को कासगंज पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया है। अनामिकाशुक्ला यहां के कस्तूरबा विद्यालय फरीदपुर में विज्ञान की शिक्षिका के रूप में पूर्णकालिक रूप सेसेवाएं दे रही थीं।
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में एक शिक्षिका ने एकसाथ 25 स्कूलों में काम करने के साथ–साथ 13 महीने में एक करोड़ रूपये से अधिकवेतन भी उठा लिया। अब ऐसी खबरें मीडिया में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कहा – मामले की जांच की जा रही हैऔर अभी इस बारे में कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है। स्कूली शिक्षा के महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया – इस तरहकी खबरें मीडिया में आने के बाद बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक को मामले की जांच के आदेश दिये गये हैं। अभी तक कुछ भी स्पष्टनहीं है।
बहरहाल आनंद का दावा है – जिस शिक्षिका का नाम सामने आया है और उनका कुछ अता–पता नहीं है। खबरों में ऐसा कहा जा रहा हैकि महिला अध्यापक ने एक करोड़ रूपए का वेतन लिया है। यह सब सत्य नहीं है और अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। उन्होंनेकहा कि मामले की जांच की जा रही है और अगर आरोप सही पाये जाते हैं तो प्राथमिकी कराई जायेगी। वेतन का भुगतान बैंक खाते मेंभी नहीं हुआ है। मंडलीय अधिकारी जांच कर रहे हैं। अगर कोई शिक्षक गलत तरीके से एक से अधिक स्कूलों में पढ़ा रहा है तो उसकेखिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
एक शिकायत के अनुसार मैनपुरी की रहने वाली एक शिक्षिका एक साथ 25 स्कूलों में काम कर रही थी और उसने 13 महीनों में एककरोड़ रूपये से अधिक वेतन लिया है। आरोप है कि महिला ने विज्ञान अध्यापक के रूप में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, आंबेडकरनगर, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर, प्रयागराज तथा अन्य स्थानों पर एक साथ काम किया है। मामले के खुलासे के बाद जिलेसे भी उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया गया है।
अमेठी के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में तैनात यह शिक्षिका इस समय बेसिक शिक्षा विभाग में काफी चर्चित हो चुकी हैं। विज्ञान विषय कीशिक्षिका पर आरोप है कि वह एक दो नहीं बल्कि 25 जनपदों में एक साथ काम कर रही हैं। जहां तक अमेठी जनपद का सवाल है तोजिम्मेदारों की माने तो पिछले वर्ष नवंबर में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय अमेठी में पूर्ण कालिक विज्ञान शिक्षिका के पद परज्वाइनिंग की थी। जिम्मेदार बताते हैं कि उक्त अवधि में शिक्षिका विद्यालय आती थीं और उन्हें छह माह का वेतन निर्गत किया गया है।