New Delhi : टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा ने गुरुवार 23 जुलाई को समाचार वेबसाइट योर स्टोरी YourStory.com को दिए एक इंटरव्यू में कहा- कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारतीय कंपनियों द्वारा छंटनी एक स्वाभाविक और बिना सोच-समझकर की जाने वाली प्रतिक्रिया थी, जो यह दिखाता है कि कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में अपने कर्मचारियों के लिये हमदर्दी नाम की चीज नहीं है।
समाचार वेबसाइट योर स्टोरी को दिये इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा- ये वे लोग हैं जिन्होंने आपके लिये काम किया है। ये वे लोग हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर में आपकी सेवा की है। और ऐसे हालात में जब उन्हें आपकी ज़रूरत है तो आप अपने मजदूरों-कर्मचारियों के साथ इस तरह से पेश आते हैं। तो क्या यही आपकी नैतिकता की परिभाषा है?
It was a wonderful live session with Mr. Ratan Tata, Chairman of #TataTrust organized by Founder and CEO Ms. Shradha Sharma #YourStory.#CapearthIndia #AnAnalyst #covid19 #India #innovation #management #humanresources #digital…https://t.co/1KUJsDgPkJ https://t.co/Y95DksHClE
— Abhishek K Vyas (@absk_vyas) July 23, 2020
महामारी के दौरान हालांकि टाटा समूह ने किसी भी कर्मचारी को कंपनी से नहीं निकाला है, लेकिन इसके ठीक उलट कई भारतीय कंपनियों ने देशभर में लॉकडाउन के बाद नकदी की कमी की वजह से कर्मचारियों की छंटनी की है। टाटा समूह ने अपने टॉप मैनेजमेंट के वेतन में 20 प्रतिशत तक की कटौती की है। एयरलाइंस, होटल, फाइनेंशियल सर्विसेज और ऑटो बिजनेस सहित टाटा समूह की कुछ कंपनियों को तालाबंदी से नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन फिर किसी भी कर्मचारी को कंपनी से नहीं निकाला गया।
टाटा ने कहा – अगर आप अपने लोगों के बारे नहीं सोचते हैं, तो एक कंपनी के तौर पर आपका बचे रहना मुश्किल है। आप भले कहीं भी रहे, कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। आपके लिये कुछ भी कारण हो सकता है, लेकिन जीवित रहने के लिये आपको अपनी सोच के मुताबिक बदलना होगा।
टाटा ने कहा- जबकि सभी मुनाफे के पीछे दौड़ रहे हैं। सवाल यह है कि यह कितना नैतिक है। बिजनेस का मकसद सिर्फ पैसा बनाना नहीं है, बल्कि कस्टमर्स और स्टेक होल्डर्स के लिए सब कुछ सही और नैतिक रूप से काम करना भी है।