New Delhi : दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाने के बाद भारत अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बना रहा है। ये ब्रिज जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर बनाया जा रहा है। इस ब्रिज को बनाने की योजना पिछले कई सालों से की जा रही थी, लेकिन अब जाकर इसने आकार लेना शुरू कर दिया है, ये अपने डिजाइन और आकार के कारण काफी समय से चर्चा में है। यह पुल दिल्ली के कुतुब मीनार से 5 गुना ज्यादा ऊंचा होगा, जबकि इसकी हाइट पेरिस के एफिल टावर से भी ज्यादा होगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल की मानें तो इसके निर्माण और प्रारंभ होने को लेकर जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है और अगले साल यह चालू हो सकता है।
Due to accelerated speed of work in last one year, world’s highest railway bridge over river Chenab in Jammu & Kashmir will be ready by next year.
Offering enhanced connectivity, this will boost economic development in the region.https://t.co/TsgMmh67pn
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) August 2, 2020
The #Chenab Bridge is a World's Tallest #Railway Bridge Built by Indian Railway on Chenab River@narendramodi ji@PiyushGoyal@iiscbangalore pic.twitter.com/nnrpaeRXrM
— Quarantined Shalini Bajpai😷 (@sbajpai2811) September 28, 2018
जम्मू के रिआसी जिले में चेनाब नदी में इस ब्रिज को बनाया जा रहा है। ये एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा होगा। इसकी कुल लंबाई 1.3 किमी होगी। कहा जा रहा है कि इस ब्रिज के बनने के बाद घाटी में तरक्की का नया रास्ता खुलेगा। यह पुल कटरा और बनिहाल के बीच 111 किमी रास्ते को जोड़ेगा। ये ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है। दुर्गम क्षेत्र में करीब 1100 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे इस ब्रिज में 24000 टन इस्पात का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा को झेल सकेगा। यह ब्रिज बेइपैन नदी पर बने चीन के शुईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) का रिकार्ड तोड़ देगा।
इस पुल का निर्माण कार्य पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 2002 में शुरू हुआ था। 2008 में इसे अनसेफ करार देते हुए इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया। 2010 में पुल का काम फिर से शुरू कर दिया गया है। यह पुल अब एक नेशनल प्रोजेक्ट घोषित हो चुका है। मोदी सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट को खास तव्वजो दी जा रही है और इसका निर्माण कार्य 2019 में पूरा करने के केंद्र सरकार ने निर्देश दे रखे हैं।
दक्षिण रेलवे को ऊंचाई पर पुल का निर्माण करने में कई तरह की दिक्कते सामने आईं।रेलवे के प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो सबसे बड़ी समस्या यहां के मौसम की है।हिमालयन रेंज होने के चलते यहां का मौसम पल भर में करवट ले लेता है।बहुत अधिक ऊंचाई पर तेज हवाओं का बहाव लगातार जारी रहता है।इस पुल के आस-पास ढाई सौ किलोमीटर की सड़क का निर्माण भी रेलवे ने ही किया है।